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India China Border : चीन की चालबाजी भांपने के लिए चीनी भाषा के जानकारों का पूल बना रही भारतीय सेना


नई दिल्ली। सीमा पर चीन के साथ जारी टकराव के बीच पीएलए सैनिकों की रणनीति को गहराई से भांपने-समझने के लिए भारतीय सेना चीनी भाषा मंदारिन के विशेषज्ञों का एक व्यापक पूल तैयार कर रही है। इसके लिए चीनी भाषा विशेषज्ञों की अधिकारी स्तर पर भर्ती करने से लेकर अपने सैनिकों को मंदारिन का प्रशिक्षण देने पर सेना जोर दे रही है। मंदारिन के दुभाषियों की भर्ती जहां टेरिटोरियल आर्मी के जरिये की रही है, वहीं देश के कई विश्वविद्यालयों और विदेशी भाषा संस्थानों में सेना से जुड़े कर्मियों को चीनी भाषा में पारंगत किया जा रहा है।

सीमा पर सेना की सामरिक रणनीति जरूरत का हिस्सा बन गई है मंदारिन

पूर्वी लद्दाख समेत चीन से लगी करीब 3,400 किलोमीटर की लंबी सीमाओं पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच पिछले कुछ सालों से जारी टकराव के चलते सामरिक रणनीति से जुड़े नए आयामों पर निरंतर गौर करते रहना सेना की अनिवार्य जरूरत बन गई है। चीनी सेना का पूरा संवाद व संचार तंत्र मंदारिन भाषा पर केंद्रित है।

टेरिटोरियल आर्मी में चीनी भाषा के दुभाषियों की भी हो रही भर्ती

इसके मद्देनजर ही मंदारिन के विशेषज्ञों और दुभाषियों का पूल होना सेना के लिए बहुत जरूरी है। इसके मद्देनजर ही सेना ने हाल ही में टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन प्रशिक्षित कर्मियों को शामिल करने के लिए मंजूरी हासिल की है। इसकी भर्ती प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है।

सैन्य अधिकारियों-कर्मियों को मंदारिन में बनाया जा रहा पारंगत

सेना ने चीनी भाषा विशेषज्ञों के अपने अंदरूनी पूल में सुधार के लिए भी कई कदम उठाए हैं। इसका उद्देश्य सीमा पर विशेष स्थिति उत्पन्न होने पर चीनी पीएलए कर्मियों के साथ जुड़ने के लिए अपने जूनियर और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को ज्यादा सक्षम बनाना है। भविष्य की चुनौतियों व जरूरतों को पूरा करने और सभी स्तरों पर पर्याप्त संवाद संतुलन बनाने, परिचालन और रणनीतिक स्तर पर विश्लेषण प्रदान करने के लिए मंदारिन भाषियों की सेना को बहुत जरूरत है।