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Interview: जिहादी मानसिकता के खिलाफ सक्रिय लड़ाई जरूरी: जेपी नड्डा


विकास के बड़े दायरे में आंतरिक और बाह्य सुरक्षा भाजपा के सुशासन के मापदंड का बड़ा हिस्सा है। चुनावी अभियान हो तो भाजपा का शायद ही कोई राष्ट्रीय नेता सुरक्षा के लिए पार्टी का संकल्प दोहराने से चूकता हो। सर्जिकल स्ट्राइक, उपद्रवियों के खिलाफ सख्ती जैसे उद्धरण तो हर चुनाव में मुद्दा बनता ही है, गुजरात में पार्टी ने एक नई शुरूआत की है- जिहादी मानसिकता से लड़ाई की। स्पष्ट है कि गुजरात से शुरू हुई यह पहल आने वाले वक्त में राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखेगी।

पदाधिकारियों के साथ बैठक कर समन्वय, उत्साहित कार्यकर्ताओं के साथ रोड शो, देर शाम इकट्ठी हुई भारी जनसभा में रैली जैसे कई कार्यक्रम के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से लंबी चर्चा की। हिमाचल, गुजरात के साथ साथ एमसीडी चुनाव मे भी जीत का दावा करते हुए नड्डा ने पार्टी के अंदर बगावत करने वाले उम्मीदवारों को भी संदेश दिया कि भविष्य पार्टी के अंदर ही बाहर नही।

पेश है एक अंश-

  • सवाल- हिमाचल का चुनाव पूरा हो चुका, गुजरात विधानसभा और दिल्ली नगर निगम के चुनाव होने हैं। भाजपा कितनी आश्वस्त है?

जवाब- मैं इतना कह सकता हूं कि तीनों जगह भाजपा को अच्छी बढ़त के साथ जीत हासिल होगी। हिमाचल में लोगों ने स्थिरता और विकास के लिए वोट दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए जो अटूट विश्वास है और प्रदेश में जिस तरह केंद्र की योजनाओं को लागू किया गया उसका असर दिखेगा। वहां रिवाज बदलने वाला है। जहां तक गुजरात की बात है तो यहां लड़ाई इकतरफा है। गुजरात के लोग जानते हैं कि यहां के विकास में, सुरक्षा में, कानून व्यवस्था में भाजपाऔर प्रधानमंत्री मोदी की क्या भूमिका है।

यहां तो चुनाव को लेकर कोई सवाल ही नहीं होना चाहिए। रही बात दिल्ली की तो तो लोग जानते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी भाजपा ने अच्छा काम किया है। दिल्ली की प्रदेश सरकार ने बहुत रुकावटें पैदा कीं लेकिन भाजपा ने काम किया। लोग इसे महसूस करते हैं और इसीलिए हम फिर से एमसीडी में भी काबिज होंगे। जो बात आप दिल्ली प्रदेश सरकार के लिए कह रहे हैं। वही बात वह केंद्र सरकार के लिए कहते हैं। कहते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें दिल्ली में काम करने से रोकती है। क्या है?

वह बताएं कि हमने कौन से काम में रुकावट डाल दी.. उन्होंने काम नियम से न करने का संकल्प ले लिया हो तो रुकावट कानून डालेगा। जल निगम का आडिट और 58 हजार करोड़ रुपये न देना, सीएजी की तरफ से डेढ़ दर्जन रिमाइंडर देना. किस नियम के तहत उन्हें क्लास रूम और बाथरूम का टेंडर एक दिन दिया गया, कौन उन्हें कहता है कि शराब के लिए 2 फीसद का कमीशन 12 फीसद कर दो और फिर वह क्यों मजबूर होते हैं, क्यों उनके लोग गिरफ्तार हैं.। सरकारों को नियम के दायरे में ही चलना होता है। वह सही तरीके से काम करना ही न चाहते हो और आरोप लगाएं तो जनता देख ही रही है।

 

  • सवाल- भाजपा तो अनुशासित पार्टी है, लेकिन चुनाव के वक्त बगावत बड़ी समस्या बन गई है। हिमाचल में खासतौर से दिखा था। पार्टी इसे कैसे देखती है?

जवाब– अनुशासित पार्टी तो है ही लेकिन आकांक्षाएं भी होती है। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी हम बन चुके हैं। लोगों का हमपर विश्वास है, हम जीत पर जीत हासिल कर रहे हैं। तो कुछ लोगों को लगता है अभी नहीं हासिल किया तो फिर कभी नही और कुछ लोग पार्टी फैसलों के खिलाफ खड़े होते हैं। लेकिन वह भूल जाते हैं कि आगे वही होता है जिसके साथ पार्टी होती है। पार्टी के दायरे से बाहर गए तो फिर कुछ हासिल नहीं होने वाली है। गुजरात में कुछ बड़े चेहरों ने खुद ही घोषणा कर दी कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

  • सवाल- क्या दूसरे राज्यों में भी इस तरह की घटनाएं देखी जा सकती हैं?

जवाब- देखिए हम हमेशा प्रयोग करते हैं। लोगों को नई जिम्मेदारियां देते हैं। गुजरात हमारा मजबूत गढ़ है, हमारा संगठन परिपक्व है। तो हमने यहां प्रयोग किया और दूसरे राज्यों में प्रयोग होगा। गुजरात का संकल्प पत्र जारी करते हुए आपने एंटी रैडिकल सेल बनाने का वादा किया है। इसकी जरूरत क्यों महसूस हो रही है। एटीएस जैसी एक इकाई भी तो है जिहादियों से निपटने के लिए।

एटीएस और एंटी रैडिकल सेल में फर्क है। एटीएस आतंकवादी घटनाओं से निपटती है। लेकिन समाज में जो कट्टरता, जिहादी मानसिकता पैदा होती है उससे निपटने के लिए रैडिकल सेल की जरूरत महसूस हुई। समाज में जो स्लीपर सेल है, जो रोजाना की गतिविधियों में नहीं दिखते हैं, उससे निपटना इस सेल का काम होगा। ठीक उसी तरह जैसे हमारे शरीर के अंदर एंटीबाडी बीमार करने वाले तत्वों से लडते हैं और खत्म करते हैं।

 

  • सवाल- क्या आपको लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में देश के अंदर जिहादी तत्व बढ़े हैं। और क्या ऐसे सेल की जरूरत राष्ट्रीय स्तर पर भी है?

जवाब-  देखिए जैसे जैसे भारत उन्नत हुआ है। ताकतवर हुआ है तो दुनिया में इसके खिलाफ भी तत्व पैदा होते हैं। ऐसे लोग और संगठन देश को कमजोर करने के नए नए तरीके ढूंढता है। कुछ लोग अंडरग्राउंड होते हैं। फिलहाल तो हमलोगों ने गुजरात के लिए सोचा है, आगे देखेंगे कि राष्ठ्रीय स्तर पर उसकी क्या जरूरत है। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डैमेज रिकवरी का कानून बनाया है। गुजरात में भी आप इसकी बात कर रहे हैं।

भाजपा सरकारों में इसको लेकर गतिविधि तेज है। -हम अमृत काल में है। विकास कर रहे हैं। लेकिन विरोध करने निकले और सार्वजनिक संपत्ति को आग लगा दी, तोड़फोड़ कर दिया.यह किसी सभ्य समाज की निशानी तो नही है। विरोध का यह तरीका स्वीकार्य कैसे हो सकता है। ऐसे बहुत कम लोग होते हैं लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पाती है। ऐसे लोगों की पहचान करना और दंडित करना किसी भी सभ्य और स्वस्थ समाज के लिए जरूरी है।

  • सवाल- भाजपा रेवड़ी संस्कृति के खिलाफ है लेकिन चुनाव में आपकी ओर से भी मुफ्त साइकल, स्कूटी आदि की बात तो होती ही है। फिर इसे क्या कहेंगे?

जवाब- देखिए एमपावरमेंट(सशक्तीकरण) और एल्योरमेंट(प्रलोभन) में फर्क है। हम स्कूल जाने के लिए बच्चियों को साइकल दे रहे हैं तो इसकी जरूरत है। स्कूटी जरूरतमंद बच्चों को दे रहे हैं तो इसकी भी जरूरत है। हर किसी के लिए नहीं है। लेकिन दूसरे दल मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी जैसे प्रलोभन देकर वोट लेने की कोशिश करते हैं। ऐसी राजनीति पर रोक लगनी ही चाहिए।

कुछ दल इसका आकलन तक नहीं करते हैं कि जो वादा कर रहे हैं उसमें खर्च कितना होगा, सरकार के पास फंड कितना होगा, कैसे प्रबंध होगा। लेकिन ठीक है जिस दल को सरकार में आना ही न हो वह विचार क्यो करे। वादा कर दो.। ऐसे दलों से लोगों को बचने की जरूरत है।