इसलिए यूपीए नेताओं ने बनाई यह रणनीति
चुनाव आयोग के पत्र को लेकर राजभवन की चुप्पी से निपटने के लिए विश्वास मत हासिल करने की रणनीति बनाई गई है। सत्र से पूर्व छत्तीसगढ़ के रायपुर में जमे झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के सारे विधायक रांची वापस लौट आएंगे। फिलहाल रायपुर के पांच सितारा मेफेयर रिसार्ट में कुल 33 विधायक कैंप कर रहे हैं। सत्तापक्ष का तर्क है कि विधायकों को एकजुट रखने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। उधर गुरुवार को सत्तापक्ष ने झारखंड राजभवन पर चुनाव आयोग का निर्णय स्पष्ट करने को लेकर भी दबाव बनाया।
राज्यपाल से मिला यूपीए प्रतिनिधि मंडल
यूपीए का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिला। इस दौरान मीडिया में आ रही खबरों का जिक्र करते हुए नेताओं ने आग्रह किया कि राज्यपाल स्थिति स्पष्ट करें। मुलाकात के बाद लौटकर आए झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि राज्यपाल ने दो दिन में स्थिति स्पष्ट करने का आश्वासन दिया है। राज्यपाल ने यह भी जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर की गई शिकायत से संबंधित मंतव्य चुनाव आयोग से आया है।
राजभवन पर दबाव बनाना गलत : भाजपा
उधर, विधानसभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग एक सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है। इसपर सवाल उठाना सही नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर उठ रहे सवालों के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को उन्होंने गलत बताया है। बिरंची नारायण ने प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से कहा कि महागठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपनी बात रखी है। भारतीय जनता पार्टी सरकार को कभी अस्थिर करना नहीं चाहती है।
पार्टी चाहती है कि सरकार चले और अपना काम करे। अभी जो परिस्थितियां बनी हैं, उसके लिए मुख्यमंत्री ही जिम्मेदार हैं। 80 डिसमिल जमीन खरीदने के लिए मुख्यमंत्री उतावले होंगे तो जनता क्या करेगी। विधायकों के रायपुर जाने पर उन्होंने कहा कि अपने विधायकों से पार्टी का भरोसा नहीं उठना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता ने झामुमो और कांग्रेस से कोई संपर्क नहीं किया है। हेमंत सोरेन को इस्तीफा दे देना चाहिए।