रांची, । भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर नई कौशल विकास योजना को लांच करने की तैयारी है और इस योजना की खास बात यह है कि प्रशिक्षण के बाद भी युवाओं को रोजगार या काम नहीं मिला तो उन्हें झारखंड सरकार एक हजार रुपये मासिक का मुआवजा (बेरोजगारी भत्ता) देगी। कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण को सीधे रोजगार से जोड़कर लांच करने को तैयार इस योजना के लिए प्रारंभिक तौर पर पांच जिलों का चयन किया गया है जिनमें रांची, धनबाद, बोकारो और जमशेदपुर के शामिल होने की सूचना है। इन जिलों में कम से कम 10 हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल में प्रशिक्षण केंद्र खुलेंगे।
योजना की लांचिंग राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमु के हाथों राज्य स्थापना दिवस के मौके पर होगी। इसको लेकर गुरुवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित कराने की पूरी तैयारी कर ली गई है और सभी संबंधित विभागों से इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है।
मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए विशेष कोचिंग का प्रस्ताव
इसके साथ ही झारखंड सरकार युवाओं के लिए मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी कराने के लिए भी विशेष कोचिंग कराने का प्रस्ताव लाने जा रही है। सारथी योजना के तहत युवाओं को कोचिंग दिलाने के लिए राज्य सरकार बेहतर शिक्षकों के माध्यम से इन्हें अलग से पढ़ाई करने का मौका देगी। तैयारियों के अनुसार इसके तहत कुछ छात्रों को हास्टल में रहने का भी प्रबंध होगा।
गुरूजी क्रेडिट कार्ड योजना समेत आधा दर्जन के करीब सड़कों से संबंधित प्रस्ताव
दूसरी ओर, गुरूजी क्रेडिट कार्ड योजना भी राज्य स्थापना दिवस के मौके पर लांच होगी। इसके तहत सभी वर्गों के होनहार छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए सरकारी गारंटी पर क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। गुरुवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में आधा दर्जन के करीब सड़कों से संबंधित प्रस्ताव हैं।
तीन दर्जन से अधिक कर्मी होंगे नियमित
वित्त विभाग के तीन दर्जन से अधिक संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए प्रस्ताव की खामियों को दूर कर लिया गया है। पिछली बार कैबिनेट विभाग ने रोस्टर को लेकर इस मामले में आपत्ति दर्ज कराई थी जिस कारण से ऐन मौके पर प्रस्ताव को कैबिनेट से स्वीकृति नहीं मिली थी।
1932 के खतियान से संबंधित विधेयक को कैबिनेट से मिलेगी स्वीकृति
झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र (11 नवंबर को प्रस्तावित) से ठीक एक दिन पहले झारखंड कैबिनेट की बैठक में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए पहले से तय 1932 के खतियान को आधार बनाने से संबंधित विधेयक को अंतिम रूप देने तैयारी कर ली गई है। माना जा रहा है कि कई जिलों में 1932 में सर्वे नहीं हुआ था और ऐसे जिलों के लिए विशेष प्रविधानों को विधेयक में स्पष्ट रूप से उल्लेख किए जाने की बात कही जा रही है। ज्ञात हो कि सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दलों ने चुनावी घोषणापत्र में भी 1932 का खतियान लागू करने का वादा किया था।
जानकारी के अनुसार, झारखंड में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए फार्मूला तैयार कर लिया गया है और अब यह तय है कि जिन लोगों के नाम अथवा उनके पूर्वजों के नाम 1932 के खतियान में शामिल होंगे, उन्हें ही स्थानीय माना जाएगा। दो माह पूर्व सितंबर में कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। कुछ जिलों में अंतिम सर्वे 1932 में नहीं होने के आधार पर कांग्रेस समेत कई दलों के नेता इसमें सुधार की मांग भी कर रहे थे। अब जाकर विधेयक को अंतिम रूप दिया जाएगा तो उसमें ऐसी आपत्तियों का समाधान भी होगा।
विधेयक को विधानसभा से पास कराने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। दूसरी ओर झारखंड पदों एवं सेवाओं की नियुक्ति में आरक्षण अधिनियम 2022 हेतु विधेयक पर भी विचार हो सकता है। इसे विधानसभा से पारित कराकर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा जाएगा और उनसे आग्रह किया जाएगा कि इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाए। ज्ञात हो कि नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद किसी भी मामले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है।