बड़गाम से गोपाल जी बारात लेकर आया था।। दूल्हा जैसे ही बारात लेकर पहुंचा, तो सिर्फ दुल्हन के स्वजनों ने ही नहीं, बल्कि उसके पड़ोसियों ने भी जो कि मुस्लिम हैं, ने दूल्हे का हार पहनाकर स्वागत किया। सभी मेहमानों के लिए एक ही रसोई में खाना पका। जिला गांदरबल सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष बद्रीनाथ ने कहा कि यही तो कश्मीरियत है। यहां हिंदू-मुस्लिम एक हैं, हम सभी एक हैं।
हमारा सिर्फ मजहब अलग है, लेकिन हम सभी आपस में एक ही हैं। यही कश्मीरियत है। चार दिन से यहां शादी का समारोह चल रहा है। मेहंदी रात हो या देवगान, सारे मुस्लिम उसमें शामिल हुए हैं। बारात का स्वागत करने से लेकर शादी के सभी प्रबंधों में उन्होंने ही आगे रहकर सारी जिम्मेदारी निभाई है। मुस्लिम औरतों ने दुल्हन को तैयार करने से लेकर मायके की तरफ से होने वाली हर रस्म को बखूबी निभाया है।
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा कि मीनू कुमारी हमारी बेटी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किसी पंडित की बेटी है, बस हमारे लिए यही मायने रखता है कि वह हमारी बेटी है, हमारे गांव की बेटी है। उसे नहीं लगना चाहिए कि उसका बाप नहीं है। उसके जो रिश्तेदार बाहर से आए हैं, उन्हें भी यह महसूस नहीं होना चाहिए कि मीनू और उसका परिवार यहां किसी मुश्किल में है। यह शादी हमारे घर में है।