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Kerala Election : जैकोबाइट के पादरियों से अमित शाह करेंगे मुलाकात,


केरल विधानसभा चुनाव (Kerala Assembly Elections 2021) के लिए धुआंधार प्रचार किया जा रहा है. सभी राजनीतिक पार्टियां जमकर पसीना बहा रही हैं. इस बीच केरल में स्थित सीरियाई चर्च जैकोबाइट (Jacobite) और ऑर्थोडॉक्स (Orthodox) का मुद्दा उछला है. जैकोबाइट चर्च के पांच पादरियों की एक टीम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात करने जा रही है. दोनों धड़ों के बीच 400 साल से अधिक समय से संपत्ति का विवाद चला आ रहा है. विवाद को सुझाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं, लेकिन हल नहीं निकल रहा है. पिछले काफी समय से ऑर्थोडॉक्स ग्रुप कहता आ रहा है कि मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है.

केरल में करीब 3.5 करोड़ आबादी है, जिसमें ईसाइयों की संख्या 20 फीसदी के करीब है और 30 फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं. राजनीतिक लिहाज से जैकोबाइट चर्च से जुड़े लोगों की यह बैठक विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा महत्व रखती है, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. वहीं, अभी हाल ही जैकोबाइट चर्च के फादर स्लीबा पॉल कह चुके हैं कि अगर उनकी समस्या का समाधान निकलता है तो वह बीजेपी को समर्थन देने के लिए तैयार हैं.

पीएम मोदी भी कर चुके हैं सुलह करवाने की कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विवाद के हल के लिए बीते साल दिसंबर के आखिरी में दिल्ली में जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स दोनों धड़ों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की थी. उन्होंने अपने कार्यालय में जैकोबाइट धड़े के वरिष्ठ बिशपों से, जबकि उससे एक दिन पहले ऑर्थोडॉक्स समूह के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. ऑर्थोडॉक्स ग्रुप ने कहा था कि प्रधानमंत्री के सामने एक मुख्य विषय में सुप्रीम कोर्ट के तीन जुलाई 2017 के फैसले को रखा गया, जिसमें कहा गया है कि मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च के 1934 के विधान के आधार पर एक संगठित चर्च होना चाहिए. उसके बयान में कहा गया कि जनता के विश्वास के रूप में चर्च के भीतर चर्चों का विभाजन नहीं किया जा सकता.

पिनराई विजयन ने की कोशिशें, लेकिन नहीं निकला हल

केरल की माकपा नीत एलडीएफ सरकार ने भी विवाद के समाधान के लिए दोनों धड़ों के बीच मध्यस्थता का प्रयास किया है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला. जैकोबाइट धड़े कहता आया कि एलडीएफ सरकार ने मामले के हल के लिए तमाम कदम उठाए हैं और केरल ईसाई कब्रिस्तान विधेयक लाना एक ”साहसिक” कदम था. वे चाहते हैं कि दोनों धड़ों के बीच विवाद को खत्म करने के लिए ऐसे और कानून बनाए जाएं. इस मुद्दे का समाधान चर्चों में दोनों धड़ों के बीच रायशुमारी कराने से ही निकल सकता है. दोनों धड़ों ने मालाबार में अधिकतर चर्चों में ऐसी कोशिश कीं, जो सफल रही थीं. हालांकि चुनावी बिगुल घमासान शुरू होने के बाद जैकोबाइट ग्रुप कहने लगा है कि पिनराई विजयन सरकार ने कोशिशें नहीं की हैं.

क्या है जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स के बीच विवाद?

बताया जाता है दोनों ग्रुपों के बीच में 1559 से विवाद है. दरअसल, जैकबाइट चर्च में आस्था रखने वाले अनुयायी मानते हैं कि उनका मुख्यालय पैट्रिआर्क ऑफ एंटिओच एंड ऑल द ईस्ट है. वह मानते हैं कि पैट्रिआर्क को सेंट पीटर से अपोस्टोलिक उम्मीदवारी मिली है, जबकि ऑर्थोडॉक्स अपना मुख्यालय केरल का कोट्टयम में बताते हैं. दोनों गुटों के विवाद उस समय और बढ़ गया जब सुप्रीम कोर्ट का 2017 का आदेश लागू हो गया. कोर्ट ने अपने आदेश में केरल के 1,000 चर्चों और उससे संबंधित संपत्तियों का कब्जा ऑर्थोडॉक्स धड़े को दे दिया था. ऑर्थोडॉक्स धड़ा जहां अपनी इस मांग पर कायम रहा कि 2017 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाए, वहीं जैकोबाइट धड़ा आरोप लगाता रहा है कि दूसरा ग्रुप आदेश का गलत मतलब निकाल रहा है और अनैतिक तरीके से चर्चों का प्रबंधन अपने हाथ में ले रहा है.