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Maharashtra : क्‍या उद्धव ठाकरे फिर हासिल कर सकेंगे कट्टर हिंदुत्व की पहचान?,


मुंबई। शिवसेना में विद्रोह के कारण न केवल 31 महीने लंबी महा विकास आघाड़ी (एमवीए सरकार) का पतन हुआ और उद्धव ठाकरे की मुख्‍यमंत्री पद से अचानक विदाई हुई बल्कि पार्टी पर उनकी पकड़ पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए। शिवसेना पर राकांपा और कांग्रेस के साथ गठजोड़ के बाद अपनी कट्टर हिंदुत्व पहचान खोने का आरोप लगाया जा रहा है।

उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार रात को मुख्‍यमंत्री पद छोड़ दिया। राज्‍यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव के बाद शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठा लिया, जिसमें काफी संख्‍या में विधायक शामिल हुए। शिवसेना के विधायकों का विद्रोह करीब एक सप्ताह तक चला, जिसमें वे पहले गुजरात के सूरत गए, फिर वहां से असम के गुवाहाटी गए। फिर बुधवार को गोवा आए। अब उद्धव के इस्‍तीफे के बाद गुरुवार को गोवा से मुंबई  आए।

बागी विधायकों का कहना है कि उन्हें उद्धव ठाकरे के खिलाफ जाने के लिए मजबूर किया गया। उन्‍होंने बार-बार महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों के साथ संबंध तोड़ने कहा लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया। यह भी बताया गया था कि ये घटक (राकांपा और कांग्रेस) शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने के बाद हिंदुत्व के प्रतीक बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना हिंदुत्व के रास्ते से दूर जा रही है। विद्रोह के बाद एकनाथ शिंदे ने यहां तक ​​दावा किया कि उनके साथ ‘असली’ शिवसेना है। उन्‍होंने कहा कि उनका गुट हिंदुत्व की रक्षा करना चाहता है।