भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के सहारे उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की। इसे देखते हुए ही 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा मिलकर भाजपा का सामना करने के लिए उतरीं। इससे भाजपा गठबंधन को कुछ सीटों का नुकसान जरूर हुआ, लेकिन विरोधी खेमा तब भी उजड़ा-उजड़ा ही नजर आया।
भाजपा गठबंधन ने 64 सीटें जीतीं, जबकि बसपा 10, सपा 5 और कांग्रेस एक सीट पर सिमट गई। इनमें से आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीट भाजपा ने हाल ही में उपचुनाव में जीत लीं। इस तरह अब भाजपा गठबंधन के पास 66 और विपक्षी दलों के पास 14 सीटें रह गई हैं।
उत्तर प्रदेश के कुल पौने दो लाख बूथों का गुणा-भाग लगाकर बैठी भाजपा ने मिशन 2024 के तह सबसे पहले इन हारी हुई 14 सीटों के लिए ही रणनीति पर काम शुरू किया। चार केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, अश्विनी वैष्णव, जितेंद्र सिंह और अन्नपूर्णा देवी के प्रवास कार्यक्रम तय किए गए।
उन्होंने दो-तीन दौर के प्रवास कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, संगठन पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं और आमजन से फीडबैक लेकर रिपोर्ट तैयार की। कई बिंदुओं के प्रोफार्मा पर जानकारी दे दी है कि इन 14 सीटों पर विपक्ष कितना मजबूत है, उसके कारण क्या हैं और भाजपा के लिए संभावनाएं क्या हो सकती हैं। यह रिपोर्ट पिछले दिनों देशभर की हारी हुई 144 सीटों की समीक्षा बैठक में यूपी में लगाए गए मंत्रियों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह को सौंप दी।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि अब रिपोर्ट के आधार पर इन सीटों के लिए रणनीति तय होगी। नए सिरे से कार्यक्रम भी तय किए जाएंगे। आवश्यकता अनुसार और मंत्रियों को जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहां प्रदेश सरकार का फोकस बढ़ाने के साथ ही संगठन की ताकत भी झोंकी जाएगी। पार्टी का प्रयास यही है कि लोकसभा चुनाव से पहले इन डेढ़ वर्षों में विपक्षी के पाले की इन सीटों पर भाजपा अपने समीकरण कतई दुरुस्त कर ले।