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Monsoon Session: मानसून सत्र से पहले राज्यसभा सांसदों को याद दिलाई गई आचार संहिता


नई दिल्ली, देश में धार्मिक टिप्पणियों के चलते पिछले कुछ समय से चल रहे विवाद के बीच आज सांसदों को इससे बचने की नसीहत दी गई है। सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले राज्यसभा सचिवालय ने सांसदों को एक बार फिर सदस्यों के लिए लागू नैतिक आचार संहिता को याद दिलाया है। सांसदों से किसी भी धर्म के बारे में कोई टिप्पणी न करने को कहा गया है।

राज्यसभा सचिवालय ने कहा-

  • सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि आचार समिति ने कहा है कि सांसदों को आचार संहिता का पालन करना ही होगा।
  • समिति ने कहा कि उसने सिफारिश की है कि आचार संहिता प्रत्येक सत्र की पूर्व संध्या पर सदस्यों की जानकारी और अनुपालन के लिए प्रकाशित की जा सकती है।
  • सांसदों से कहा गया है कि उन्हें संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित आदर्शों को वास्तविकता में बदलने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

लोगों का विश्वास बनाए रखें सांसद

बता दें कि आचार संहिता में कहा गया है, “राज्य सभा के सदस्यों को अपने ऊपर जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और लोगों की आम भलाई के लिए अपने जनादेश का निर्वहन करने के लिए पूरी लगन से काम करना चाहिए। उन्हें संविधान, कानून का उच्च सम्मान करना चाहिए। संहिता में कहा गया है कि संसदीय संस्थाएं और आम जनता सबसे ऊपर है।

  • सदस्यों से कहा गया है कि वे ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे संसद की छवि खराब हो और उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हो।
  • लोगों के सामान्य कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें संसद सदस्य के रूप में अपने पद का सही उपयोग करना चाहिए।

आचार संहिता में सांसदों को नसीहत

आचार संहिता में कहा गया है कि सदस्यों को हमेशा यह देखना चाहिए कि उनके निजी वित्तीय हित और उनके परिवार के सदस्यों के हित सार्वजनिक हित के विरोध में नहीं आते हैं और यदि कभी भी ऐसा कोई संघर्ष उत्पन्न होता है, तो उन्हें इस तरह के संघर्ष को इस तरह से हल करने का प्रयास करना चाहिए कि जनता का हित खतरे में नहीं हो।