एएनआइ के मुताबिक माता-पिता ने भी कथित तौर पर इस घटना की तस्दीक की कि छात्राओं को अन्य लड़कों और पुरुष पर्यवेक्षकों के सामने परीक्षा में बैठने के लिए मजबूर किया गया। इससे ये लड़कियां असहज हो गईं। आरोप है कि उनको मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया गया।
एक छात्रा के पिता ने एएनआई को बताया कि मेरी बेटी 8वीं कक्षा से नीट परीक्षा (National Eligibility Entrance Test, NEET) की तैयारी कर रही थी। हमें विश्वास था कि वह परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल करेगी, लेकिन इस समस्या के कारण वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी। वह परीक्षा में ठीक से नहीं लिख पाई। एनटीए के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए, माता-पिता ने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency, NTA) ने इनरवियर पर प्रतिबंध का उल्लेख नहीं किया है।
छात्रा के पिता ने कहा कि बच्चियां इस बर्ताव से असहज हो गई थीं। एनटीए द्वारा जारी दिशा-निर्देश में इनरवियर पर किसी प्रकार के प्रतिबंध का उल्लेख नहीं किया गया था। हम सभी दिशानिर्देशों का पालन कर रहे थे। कर्मचारियों ने उन्हें इनरवियर हटाए बिना कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। राज्य के महिला आयोग ने भी घटना को लेकर स्वत: संज्ञान में लेते हुए मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि इस घटना को लेकर शिकायतें बढ़ रही हैं।