पाम तेल की ऊंची कीमतों (Palm oil Price Hike) से खपत घटने की संभावना है। एलएमसी इंटरनेशनल के अध्यक्ष जेम्स फ्राई ने कहा लोगों की आय पर दबाव पड़ेगा। इससे लोगों की खर्च करने की शक्ति कम हो जाएगी।
कुआला लंपुर, रॉयटर्स। प्रमुख विश्लेषक जेम्स फ्राई ने कहा कि ‘इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन इस साल लगभग 3 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है लेकिन यह वैश्विक खाद्य तेल की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।’ यह दोनों देश दुनिया के शीर्ष पाम तेल उत्पादकों में गिने जाते हैं। कृषि व्यवसाय सलाहकार एलएमसी इंटरनेशनल के अध्यक्ष जेम्स फ्राई ने रॉयटर्स को एक साक्षात्कार में बताया कि दक्षिण अमेरिका और कनाडा में प्रतिकूल मौसम ने सोयाबीन ऑयल और रेपसीड ऑयल की आपूर्ति पर अंकुश लगा दिया है। वहीं, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण सूरजमुखी के तेल की उपलब्धता में कमी आई है। उन्होंने कहा कि पाम तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज पर बेंचमार्क पाम तेल अनुबंध पिछले सप्ताह 7,108 रिंगित प्रति टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। बाजार 0851 जीएमटी तक 5% बढ़कर 6,580 रिंगिट प्रति टन पर था। पिछले दो हफ्तों में कमोडिटीज के दाम कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं क्योंकि यूक्रेन में रूस के आक्रमण के कारण आपूर्ति बाधित होने से बाजारों में हलचल जारी है। 2021 में इंडोनेशिया ने 46.89 मिलियन टन पाम तेल का उत्पादन किया, जबकि मलेशिया का उत्पादन 18.1 मिलियन टन था।
फ्राई ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के कारण सूरजमुखी की पेराई और तेल निर्यात रुक जाएगा। इसके साथ ही, लड़ाई के कारण बुवाई भी बहुत कम होगी। उन्होंने कहा कि ‘इसका असर आगे चलकर देखने को मिलेगा।’ रूस और यूक्रेन सूरजमुखी तेल के वैश्विक निर्यात में 80% हिस्सेदारी रखते हैं, जो पाम तेल के साथ प्रतिस्पर्धा करता है। विश्लेषक ने कहा कि काला सागर क्षेत्र से उर्वरक की कम उपलब्धता से विश्व उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।