नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व जल दिवस पर ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता हमारे जल संसाधनों तथा जल कनेक्टिविटी पर निर्भर है और जल के प्रभावी संरक्षण के बिना भारत का तीव्र गति से विकास संभव नहीं है.
मोदी ने कहा कि चिंता की बात ये है कि भारत में अधिकतर वर्षा जल बर्बाद हो जाता है. बारिश का पानी जितना बचाएंगे, भूजल पर निर्भरता उतनी ही कम हो जाएगी
उन्होंने कहा, ‘हमारे पूर्वज हमारे लिये जल छोड़कर गए. हमारी जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिये इसका संरक्षण करें.
मोदी ने कहा कि देश के प्रत्येक गांव में आगामी सौ दिन वर्षा जल संरक्षण की तैयारियों को समर्पित किये जाने चाहिये. उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद पहली बार सरकार जल परीक्षण पर गंभीरता से काम कर रही है. कोविड के दौरान 4.5 लाख महिलओं को जल के परीक्षण के लिये प्रशिक्षित किया गया.
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि मॉनसून आने तक मनरेगा कोषों की एक-एक पाई वर्षा जल संरक्षण पर खर्च हो.’
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षा जल के संरक्षण के साथ ही हमारे देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है. देश को पानी संकट से बचाने के लिए इस दिशा में अब तेजी से कार्य करना आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी इसी विजन का हिस्सा है. इसबार जलशक्ति अभियान में विशेष ये भी है कि इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों को शामिल किया जा रहा है.
मोदी ने कहा, ‘मानसून आने में अभी कुछ हफ्तों का समय है, इसलिए हमें अभी से पानी को बचाने की तैयारी जोरों से करनी है. भारत वर्षा जल का जितना बेहतर प्रबंधन करेगा उतना ही भूमिगत जल पर देश की निर्भरता कम होगी. इसलिए ‘कैच द रेन’ जैसे अभियान चलाए जाने और सफल होने बहुत जरूरी हैं.’