नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को कहा कि भारत का संविधान केवल एक पुस्तक नहीं है। यह सिर्फ धाराओं का संग्रह नहीं है। यह एक निष्ठ और विचार है। भारत का संविधान स्वतंत्रता का एक विश्वास है। उन्होंने कहा कि जब हम कोई नए संकल्प लेकर निकलते हैं तो हमारी जानकारी हमारी जागरूकता बनती है। बोध ही, हमारा प्रबोध करता है, इसलिए एक राष्ट्र के रूप में हम संविधान के सामर्थ्य का उतना ही विस्तृत उपयोग कर पाएंगे जितना हम अपने संविधान को गहराई से जानेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी राम बहादुर राय द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ‘भारतीय संविधान अनकही कहानी’ राम बहादुर राय की यह पुस्तक अपने शीर्षक को चरितार्थ करेगी और देश के सामने संविधान को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करेगी। मैं इस अभिनव प्रयास के लिए राम बहादुर राय जी को और इसके प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं। हम संविधान की ताकत का उतना ही विस्तृत उपयोग कर पाएंगे जितना हम इसको गहराई से जानेगे।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां सामान्य जनमानस को प्रेरणा देने के लिए ऋषियों ने मंत्र दिया था, चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति… एक पत्रकार के लिए ये मंत्र नए विचारों की खोज और समाज के सामने कुछ नया लाने की लगन यही उनकी सहज साधना होती है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश आज आजादी की लड़ाई के अनकहे अध्ययों को सामने लाने का सामूहिक प्रयास कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि जिन सेनानियों ने इस लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर किया फिर भी विस्मृत रह गए। जिन घटनाओं ने आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी… फिर भी भुला दी गईं। जो विचार आजादी की लड़ाई को ऊर्जा देते रहे… फिर भी आजादी के बाद हमारे संकल्पों से दूर हो गए। देश आज फिर से उन्हें एक सूत्र में पिरो रहा है, ताकि भविष्य के भारत में अतीत की चेतना और मजबूत हो सके। इसलिए आज देश के अनकहे इतिहास पर शोध कर रहे हैं… किताबें लिख रहे हैं।