चंडीगढ़। : पंजाब में आम आदमी पार्टी का मिशन-13 पूरी तरह फेल हो गया है। इसके विपरित कांग्रेस ने सात सीटें जीतकर एक बार फिर अपना दम-खम दिखाया है। दोनों पार्टियां आइएनडीए के घटक हैं परंतु पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़े। पहली बार अपने बूते राज्य की सभी सीटों पर उतरी भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई तो शिरोमणि अकाली दल भी कुछ खास नहीं कर पाया।
AAP को कमजोर शासन का मिला खामियाजा
पंजाब से स्टार प्रचारक रहे मुख्यमंत्री भगवंत मान को उम्मीद थी कि तीन सौ यूनिट निशुल्क बिजली देने का उनका वादा वोट में बदल जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। आप मात्र तीन सीटें जीत पाईं। मान ने अपने पांच मंत्रियों और चार विधायकों को
मैदान में उतारा था, उनमें केवल एक मंत्री और एक विधायक ही जीत पाया। माना जा रहा है कि आप को कमजोर शासन का खामियाजा मिला है। संदेश साफ है कि केवल मुफ्त की रेवडि़यां देकर ही लोगों को पूरी तरह नहीं बांधा जा सकता।
सात सीटें जीती कांग्रेस
कांग्रेस ने वर्ष 2019 में जीती आठ सीटों के मुकाबले इस बार सात सीटें जीती हैं। उसे एक सीट का घाटा हुआ है। दोबारा जमीन हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे शिरोमणि अकाली दल की प्रत्याशी हरसिमरत कौर बादल ने चौथी बार सीट हासिल की, लेकिन शिअद 10 सीटों पर जमानत गंवा बैठा। केवल अमृतसर और फिरोजपुर में ही उसके प्रत्याशी जमानत बचा सके।
भाजपा ने प्रत्यासियों का किया गलत चयन
निर्दलीय चुनाव लड़े अलगाववादी प्रत्याशियों ने उसको काफी नुकसान पहुंचा गए। पंथक वोट बैंक शिअद से खिसककर इन दो उम्मीदवारों की ओर चला गया। वोट शेयर भी 2022 के विधानसभा में 18 प्रतिशत के मुकाबले मात्र 13.41 प्रतिशत रह गया है।
भाजपा की उपलब्धि यह रही कि उसका वोट प्रतिशत 2019 के 9.63 प्रतिशत से बढ़कर 18.55 प्रतिशत हो गया है। 2019 के चुनाव में भाजपा ने होशियारपुर और गुरदासपुर की सीटें जीत ली थीं। भाजपा की दुर्गति के लिए प्रत्याशियों के गलत चयन को माना जा रहा है।