दरअसल, आरएसएस प्रमुख डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद द्वारा लिखित पुस्तक ‘द मीटिंग्स ऑफ माइंड्स: ए ब्रिजिंग इनिशिएटिव’ का विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘संघ राजनीति से दूर रहता है. लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ हैं. मैंने दिल्ली के भाषण मे भी कहा था अगर हिंदू कहता है कि यहां एक भी मुसलमान नहीं रहना चाहिए तो वो हिंदू हिंदू नहीं रहेगा और यह मैंने पहली बार नहीं कहा है, यह चलते आया है. आज मुझे संघ के शीर्ष पर रखा गया है तो मै बोलता हूं पर यह शुरू से कहा गया है तब संघ छोटा था तो उसकी बात सुनी नहीं गई. हम सबके पूर्वज एक समान हैं. स्वार्थ अलग अलग होंगे पर समाज एक है.’
उन्होंने कहा, ‘भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जाने वाली हत्या (लिंचिंग) में शामिल होने वाले लोग हिंदुत्व के विरुद्ध हैं. देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं. एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों की महिमा होनी चाहिए. हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. यहां हिंदू या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता. केवल भारतीयों का प्रभुत्व हो सकता है. ‘
भागवत ने कहा कि कुछ काम ऐसे हैं जो राजनीति नहीं कर सकती है. राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती. राजनीति लोगों को एकजुट करने का यंत्र नहीं हो सकती लेकिन यह एकता को खत्म करने का हथियार जरूर बन सकती है.