नई दिल्ली । भारत के पड़ोस में चल रही राजनीतिक और आर्थिक अशांति ने पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर खींच लिया है। श्रीलंका की आर्थिक और राजनीतिक बदहाली पर भारत की भी नजर है। भारत की चिंता कहीं न कहीं इस बात को लेकर भी है कि कहीं चीन इसका फायदा न उठा ले। श्रीलंका में खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं, लोगों के बीच राजनीतिक हालातों को लेकर भी रोष व्याप्त है। राजनीतिक उठापठक और आर्थिक मुश्किलों के बीच झूल रहे इस देश की हालत ऐसी क्यों हुई, ये जानना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कभी श्रीलंका तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा था। जानकारों की मानें तो इसके लिए श्रीलंका खुद ही जिम्मेदार है।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म का खास रोल
जानकारों की राय में इस बदहाली की एक वजह विश्व मेंं फैली कोरोना महामारी थी, जिस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं था। इसका असर पूरी दुनिया में ही देखने को मिला था। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पयर्टन पर टिकी है। यहां के नैसर्गिक सौंदर्य को देखने के लिए दुनियाभर के लोग यहां का रुख करते हैं। यहां की जीडीपी में पर्यटन का हिस्सा करीब 12.5 फीसद तक है। कोरोना से पूर्व इसकी गति कम नहीं हुई थी। लेकिन विश्व व्यापी प्रतिबंधों ने इसको बेपटरी कर दिया। इसके बाद सरकार ने जो कदम उठाए उसने भी हालात और खराब कर दिए।
तरक्की की राह पर था श्रीलंका
श्रीलंका लंबे समय तक गृहयुद्ध की चपेट में रहा है। इसके बाद भी इस देश ने कई देशों के मुकाबले अधिक तेजी से तरक्की की है। संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक में भी श्रीलंका का प्रदर्शन बेहतर रहा है। प्रोफेसर पंत का कहना है कि श्रीलंका की बदहाली की वजह उसकी गलत नीतियांं रही हैं। श्रीलंका की दुर्गति के संकेत पहले से ही दिखाई देने लगे थे।