नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है।
सरकार के फैसले पर मचा सियासी बवाल
बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली थी। सरकार के इस फैसले पर जमकर सियासी बवाल मचा। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार आरक्षण पर चोट कर रही है। इतना ही नहीं एनडीए के घटक दलों ने भी फैसले की आलोचना की।
केंद्रीय मंत्री ने लेटरल एंट्री पर क्या कहा था?
सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्तियां की जाएंगी। इस सुधार से प्रशासन में सुधार होगा।
भाजपा ने कहा था कि लेटर एंट्री का प्रस्ताव कांग्रेस शासन में लाया गया था। वहीं, मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सैम पित्रोदा सरीखे लोगों को लेटरल एंट्री के जरिए ही कांग्रेस शासन में सरकार का हिस्सा बनाया गया था।