ताइपे, । अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी (US House Speaker Nancy Pelosi) ने चीन की चेतावनियों को नजरंदाज करके ताइवान का दौरा किया। ताइवान के नेताओं से मुलाकात के बाद नैन्सी पेलोसी बुधवार को यात्रा के अगले पड़ाव दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो गईं। उन्होंने बुधवार को कहा कि उनके और कांग्रेस के अन्य सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल के इस दौरे से साफ है कि हम ताइवान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नहीं छोड़ेंगे।
नैन्सी पेलोसी ने ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग-वेन से बैठक के दौरान अपने संक्षिप्त भाषण में कहा कि मौजूदा वक्त में दुनिया लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच के विकल्प का सामना कर रही है। ताइवान समेत दुनिया भर में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए अमेरिका दृढ़ संकल्पित है। हम ताइवान को अकेला नहीं छोड़ेंगे। हमारी प्रतिबद्धता ताइवान के साथ है।
चीन (China) ताइवान पर अपना हक जताता है। वह ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। चीन ताइवान के अधिकारियों द्वारा विदेशी सरकारों के साथ किसी भी जुड़ाव का विरोध करता है। चीन ने ताइवान के चारों ओर कई सैन्य अभ्यासों की घोषणा की है। वहीं ताइवान ने इसे अंतरराष्ट्रीय प्रविधानों का उल्लंघन करार दिया है। ताइवान ने इसे चीन की सुनियोजित कार्रवाई बताया है। ताइवान ने कहा है कि चीन की यह कार्रवाई उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन है।
चीनी सैन्य अभ्यास में लाइव फायर भी शामिल है। यह गुरुवार को शुरू होना है। चीन के इस एक्शन को 1995 के बाद की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया गया है। सन 1995 में चीन ने ताइवान की तत्कालीन राष्ट्रपति ली टेंग-हुई की अमेरिका यात्रा पर अपनी नाराजगी को दुनिया के सामने दिखाने के लिए बड़े पैमाने पर मिसाइलें दागी थीं।
जानकारों का कहना है कि नेंसी पेलोसी की यात्रा ने अमेरिका-चीन के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। नेंसी पेलोसी 25 वर्षों बाद ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिकी उच्च सदन की पहली स्पीकर हैं। सन 1997 में न्यूट गिंगरिच (Newt Gingrich) ने ताइवान की यात्रा की थी। इस बीच ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने बीजिंग की सैन्य धमकी का जवाब दिया है। साई ने पेलोसी के साथ अपनी मुलाकात में कहा कि ताइवान जानबूझकर बढ़ाए जा रहे सैन्य खतरों का सामना करने से पीछे नहीं हटेगा।