नैनीताल, : Common civil code : उत्तराखंड के चुनाव को लेकर आखिरी दौर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा दांव खेला है। उन्होंने राज्य में चुनाव के दो दिन पहले जनता से बड़ा वादा किया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि शपथ ग्रहण के बाद वह तुरंत यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे। इसके लिए विशेष कमेटी गठित की जाएगी। न्यायविदों, सेवानिवृत जन और प्रबुद्धजनों के साथ अन्य स्टेकहोल्डरों की एक कमेटी बनाएंगे।
शनिवार को खटीमा में एएनआइ से बातचीत में सीएम ने कहा कि सरकार के सत्ता में आने पर शपथ ग्रहण के तुरंत बाद न्यायविदों, सेवानिवृत जनों, समाज के प्रबुद्ध जनों व अन्य स्टेकहोल्डरों की एक कमेटी गठित करेगी। यह कमेटी उत्तराखंड राज्य के लोगों के लिए यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफार्म सिविल कोड का दायरा विवाह, तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर लागू होगा।
यह सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से लागू होगा। साथ ही यह यूनिफार्म सिविल कोड संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा और संविधान की भावनाओं को मूर्त रूप देगा। यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी प्रभावी कदम होगा। यह देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की परिकल्पना को भी साकार करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर जोर दिया। साथ ही जल्द सही कदम न उठाने पर भी नाराजगी व्यक्त की है।
क्या है समान नागरिक संहिता
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता यानी का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता एक पंथ निरपेक्षता कानून जो सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होता है। फिलहाल देश मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल लॉ लागू है। हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं। संविधान में समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है। लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो सका है और उस पर निरंतर बहस चल रही है।