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World Press Freedom Day 2022: प्रेस आजादी को लेकर दुनिया के किन मुल्‍कों में बजी खतरे की घंटी,


नई दिल्‍ली, । बेशक प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता हो और इसकी आजादी और स्वतंत्रता को लेकर तमाम बातें की जाती हों, लेकिन कई लोकतांत्रिक देशों में इसकी स्थिति ठीक नहीं है। रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स (आरएसएफ) की रिपोर्ट इस दिशा में बड़ी चिंता को रेखांकित करने वाली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अनगिनत मीडिया हाउस वाले भारत में प्रेस की स्वतंत्रता चिंताजनक स्थिति में है। इस मामले में भारत लगातार पीछे जा रहा है। यह हम नहीं, बल्कि आरएसएफ द्वारा जारी रिपोर्ट कह रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 150वें पायदान पर है। पिछले साल भारत इसमें 142वें नंबर पर था। हालांकि, विशेषज्ञ इस रिपोर्ट के मानकों को पूरी तरह से सही नहीं मानते हैं। उन्‍होंने कहा कि लोकतांत्रिक देशों की अपनी अलग-अलग तरह की आंतरिक चुनौतियां है। इस रिपोर्ट्स में इस बात की अनदेखी की गई है।

दक्षिण एशियाई देशों में खतरे की घंटी

मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट में कई और हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं। खासकर दक्षिण एशियाई देशों के लिए यह खतरे की घंटी है। आरएसएफ 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल वह 106वें स्‍थान पर था। नेपाल को छोड़कर दक्षिण एशियाई मुल्‍कों की रैंकिंग में काफी गिरावट आई है। पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें स्थान पर है। यह रैंकिंग कुल 180 देशों की है। पिछली बार पाकिस्तान को 145वें, श्रीलंका को 127वें, बांग्लादेश को 152वें और म्यांमार को 140वें स्थान पर रखा गया था।

 

दुनिया के टाप पांच देश

प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में इस साल नार्वे लगातार छठी बार पहले नंबर पर बना हुआ है। डेनमार्क दूसरे नंबर पर और स्वीडन तीसरे नंबर पर है। एस्टोनिया चौथे नंबर पर और फिनलैंड पांचवें नंबर पर खिसक गया है। रैंकिंग में उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है। वहीं यूक्रेन से युद्ध कर रहे रूस को इस रैंकिंग में 155वें नंबर पर रखा गया है, जबकि पिछले साल वह 150वें स्थान से नीचे था। वहीं चीन इस बार 175वें स्थान पर आ गया है, पिछले साल चीन 177वें स्थान पर था। इसके पूर्व फ‍िनलैंड की स्थिति में बड़ी गिरावट आई है। डेनमार्क एक पायदान ऊपर आया है।