नई दिल्ली: अल्पसंख्यकों की पहचान के सिलसिले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा है कि यह एक संवेदनशील मामला है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। मामले में 14 राज्यों ने अपना मत दे दिया है। 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अंतिम राय अभी नहीं आई है। ऐसे में कोर्ट राज्यों को अंतिम राय प्रकट करने के लिए कुछ और समय दे।
राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान की मांग
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में यह मामला सुनवाई पर लगा था। लेकिन संबंधित न्यायाधीश संविधान पीठ की सुनवाई में व्यस्त रहे। इसलिए इस केस पर सुनवाई नहीं हुई। भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग कानून-2004 की धारा 2 (एफ) को चुनौती दी गई है। साथ ही राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान की मांग की गई है। एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून 1992 की धारा 2 (सी) को चुनौती दी गई है। साथ ही अल्पसंख्यक को परिभाषित करने और जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई है।
विचार-विमर्श के लिए अतिरिक्त समय देने का आग्रह
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए संलग्न कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके जवाब में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 31 अक्टूबर को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की और राज्यों को अपना मत प्रकट करने के लिए कुछ और समय दिए जाने का अनुरोध किया। स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के साथ विचार-विमर्श किया। कुछ राज्यों ने व्यापक विचार-विमर्श के लिए अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया है। राज्यों से कहा गया है कि पक्षकारों के साथ जल्द विचार-विमर्श कर लें और अपना मत अल्पसंख्यक मंत्रालय को भेज दें।
कई राज्य दे चुके हैं अपनी राय
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, ओडिशा, उत्तराखंड, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, बंगाल, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेशों-लद्दाख, दादरा और नागर हवेली, दमन व दीव और चंडीगढ़ ने अपनी राय दे दी है। हालांकि, केंद्र सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट में यह नहीं बताया है कि 14 राज्यों ने क्या राय प्रकट की है या कानून को चुनौती देने के मामले में सरकार का क्या कहना है? उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून की धारा 2(सी) रद की जानी चाहिए। इसमें केंद्र सरकार को अल्पसंख्यकों की पहचान का मनमाना अधिकार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में टीएमए पाई केस में कहा था कि अल्पसंख्यक राज्यवार चिह्नित होना चाहिए।