सम्पादकीय

असाधारण उपलब्धि


आर.के. सिन्हा     

शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्राके बचावमें कह रही हैं कि उनके पति बेकसूर हैं और वह पोर्न नहीं इरोटिक फिल्में बनाते थे। क्या मतलब होता है इरोटिकका। क्या शिल्पा शेट्टीको पता है कि इरोटिकका अर्थ होता है कामुक या कामोत्तेजक। क्या भारत जैसे देशमें जहांपर अब भी समाज आधुनिकताके नामपर नग्नताको अस्वीकार करता है, वहांपर कामुक फिल्में बनाना क्या उचित है। क्या एक भारतीय नारीको कामुक फिल्मोंके पक्षमें बोलना तनिक भी शोभा देता है।  वह समाजको कोई बहुत गहरे संदेश और सार्थक संकेत दे जाती हैं। राज कुंद्रापर अभी यही सारे आरोप लग रहे हैं। पुलिस उनसे गहन पूछताछ कर रही है। यदि शिल्पा शेट्टी एक बार भी यह कह देती कि उनके पतिपर लगे आरोप साबित हुए तो उनपर भी कानून सम्मत एक्शन हो। उनके इस एक बयानसे उनके प्रति देशके मनमें उनको लेकर सम्मान बढ़ जाता। तब यह लगता कि शिल्पा शेट्टी सचके साथ खड़ी हैं। वहांपर वह अपने सबसे प्रियका भी साथ नहीं देंगी। लेकिन यह हो न सका। इस तरहसे शिल्पा शेट्टीने एक मौका गंवा दिया जो उन्हें सचमुच महान बना सकता था। शिल्पा शेट्टी जब अपने पतिका बचाव कर रही थीं लगभग तब ही चानू मीराबाईने देशको टोक्यो ओलंपिक खेलोंकी वेट लिफ्टिंग प्रतियोगितामें सिल्वर मेडल जितवाया। सुदूर मणिपुरकी रहनेवाली ग्रामीण परिवेशमें पली वही इस महिला चानूकी उपलब्धिपर सारे देशको नाज है। उन्होंने सही मायनेमें देशको गर्व और आनंदके लम्हें दिये। कोरोना कालके बादसे देशपर भारी विपत्ति आयी हुई थी। देशका मनोबल गिरा हुआ था। चानूने घोर निराशाके दौरके बीच १३५ करोड़ भारतीयोंको दिलसे खुश होनेका मौका दिया। यह कोई छोटी बात नहीं है।  चानूने दो क्विंटल वजन उठाकर इस ओलपिंकका पहला मेडल देशको दिया है। वेटलिफ्टिंगमें दो क्विंटल उठानेके लिए लोहेके दांत और शीशमकी कमर चाहिए। यह सिद्ध कर दिखाया मणिपुरकी इस युवतीने। चानूके साथ सारी भारतीय महिलाओंको बधाई। महिलाएं वजन नहीं उठा सकती इस मिथको फिरसे चानूने झूठा और खोखला सिद्ध कर दिया है। महिलाएं वजन भी उठा सकती है, ऑपरेशन भी कर सकती है और बच्चे भी पढ़ा सकती हैं। चानूकी उपलब्धि असाधारण है। यह भारतीय वेटलिफ्टिंग इतिहासमें ओलंपिकमें भारतका दूसरा पदक है। आपको पता है कि भारतने इससे पहले सिडनी ओलंपिक (२०००) में वेटलिफ्टिंगमें पदक जीता था। यह पदक कर्णम मल्लेश्वरीने दिलाया था। चानू पहली भारतीय वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने ओलंपिकमें सिल्वर मेडल जीतनेका कारनामा किया है।

यदि इस देशकी नारी शक्ति चाहे तो देशसे भ्रष्टाचारका भी पूरी तरह खात्मा हो सकता है। हां, यह तब होगा जब भ्रष्ट सरकारी बाबुओं, टैक्स चोरी करनेवाले कारोबारियों और रिश्वत लेना अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझनेवाले बाबुओंकी पत्नियां ठान लें कि वह अपने घरोंमें हरामकी कमाईको इस्तेमाल नहीं होने देंगी। सारे देशको पता है कि भारतमें करोड़ों लोग अपना टैक्स अदा नहीं करते या अपनी आय कम दिखाकर कम टैक्स देते हैं। इनके घरोंकी माताएं, बहनें, पत्नियां सुधार सकती है अपने पुत्र, भाई और पतिको। घरकी गृहणीको अपने पतिकी कमाईकी सब जानकारी होती है। उसे पता होता है कि उसका पति ईमानदारीसे कितना हर माह कमाता है। यदि उस महिलाके पतिकी कमाईमें अप्रत्याशित रूपसे इजाफा होने लगे तो उसे अपने पतिसे सवाल जरूर पूछना चाहिए। उसपर लगाम लगानी चाहिए। यह वह चाहे तो भली-भांति कर सकती है।

अमेरिकामें अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयडके हत्यारे डेरेक चौविनकी पत्नी कैली अपने पतिके कृत्यसे इतनी आहत हुई थीं कि उन्होंने उससे तलाक लेनेका ही फैसला ले लिया था। चौविनने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड कि हत्या कर दी थी। सचमें बहुत ऊंचे जमीरवाली महिला थी कैली। वास्तवमें सत्यका रास्ता बड़ा ही कठोर होता है। उसपर चलनेके लिए अनेकों बार बहुत बलिदान देना होता है। यदि हममें आपमें इनसानियत बची है तो कमसे कम उस महिलाको सलाम तो कर ही सकते हैं। कामुक फिल्मोंमें कतई गंदगी न देखनेवाली शिल्पा शेट्टीसे आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं। वह बॉलीवुडके श्याम पक्षकी नुमाइंदगी करती हैं। शिल्पा शेट्टी जैसी महिलाएं किसीके लिए भी आदर्श नहीं हो सकती। देशमें करोड़ों स्त्रियां खेतों, बैंकों, सेना, निजी सुरक्षा और दूसरे अनेक क्षेत्रोंमें ठोस काम कर रही हैं। कड़ी मेहनत कर देशके विकासमें लगी हैं। अब तो भारतीय नारी मिसाइल भी बना रही हैं। कुछ समय पहले भारतकी अग्नि-३ मिसाइल जब गर्जना करती हुई हिंद महासागरमें भूमध्य रेखाके पास लक्ष्यको भेद रही थी तो टेस्ट रेंज सेंटरमें एक महिला वैज्ञानिककी खुशीका ठिकाना नहीं था। यह महिला वैज्ञानिक और कोई नहीं, बल्कि अग्नि मिसाइल कार्यक्रमकी  प्रोजेक्ट डायरेक्टर टैसी थामस थीं, जो  अग्नि-३ की सफलताके जश्नमें सबसे आगे थीं। थामस वह नाम है जो देशके मिसाइल कार्यक्रममें अग्रणी होकर उभर रहा है, लेकिन वह प्रचारकी आंधीसे बहुत दूर रहती हैं। सदा भारतीय परिधानमें सादगीपूर्वक रहनेवाली टैसी थामस एक साधारण गृहणी-सी दिखती हैं और उन्हें देखकर कोई कह नहीं सकता कि यह महिला परमाणु हथियार दागनेमें सक्षम सामरिक मिसाइलकी सफलताके साथ कंधेसे कंधा मिलाकर चल रही हैं। देशको अभी हजारों और चानू मीराबाई टैसी थामस चाहिए।