तेज होगा आन्दोलन,दिल्ली-जयपुर,दिल्ली-आगरा हाईवे करेंगे जाम
नयी दिल्ली (आससे)। केंद्र सरकार और किसानों के बीच टकराव खत्म होता नहीं नजर आ रहा है। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठनों ने सरकार द्वारा दिये गये ताजा प्रस्तावों को आज एक सुर में खारिज कर दिया है। इसके साथ ही किसानों ने घोषणा की है कि अब वे दिल्ली में प्रवेश नहीं करेंगे, बल्कि 12 दिसम्बर तक दिल्ली-जयपुर हाइवे को सील करेंगे। साथ ही उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। सरकार की तरफ से 20 पन्नों का प्रस्ताव मिलने के बाद सिंघु बार्डर पर किसान नेताओं ने एक बैठक करके विस्तार से चर्चा की। चर्चा के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में किसान नेताओं ने बताया कि वे सरकार के इस प्रस्ताव को एक स्वर में खारिज करते हैं। सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजे जाने के बाद उम्मीद जतायी गयी थी कि किसान अपना विरोध समाप्त कर देंगे। किसानों द्वारा प्रस्ताव खारिज किये जाने को सरकार के लिये एक झटके के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि राहत की बात यह है कि किसानों ने कहा है कि अगर सरकार की तरफ से कोई नया प्रस्ताव आता है तो उसपर विचार किया जायेगा। प्रस्ताव मिलने के बाद किसान नेता योगेन्द्र यादव ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार का प्रस्ताव मिला। वही प्रोपेगेंडा, वही संशोधन के सुझाव। खोदा पहाड़, निकली चुहिया। किसान संगठनों ने एक स्वर से इन प्रस्तावों को खारिज किया है। संवाददाता सम्मेलन में क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल ने कहा कि हम 12 दिसम्बर तक दिल्ली-जयपुर हाइवे ब्लाक करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान पीछे नहीं हटेंगे। यह उनके सम्मान की बात है। अगर सरकार जिद्दी है तो किसान भी जिद पर अड़े हैं, कानून वापस लेना होगा। मालूम हो कि सरकार की तरफ से दिये गये प्रस्ताव में 9 अहम बातें कही गई हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य सरकार चाहे तो निजी मंडियों पर भी शुल्क अथवा फीस लगा सकती है। राज्य सरकार चाहे तो मंडी व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य कर सकती है। किसानों को कोर्ट कचहरी जाने का विकल्प भी दिया जायेगा। किसान और कंपनी के बीच ठेके की 30 दिन के अंदर रजिस्ट्री होगी। ठेका कानून में स्पष्ट किया जायेगा कि किसान की जमीन या इमारत ऋण या गिरवी नहीं रख सकते। किसान की कुर्की नहीं हो सकेगी। एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में सरकार लिखित आश्वासन देगी। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि बिजली बिल अभी मसौदा है। एनसीआर में प्रदूषण वाले कानून पर किसानों की आपत्तियों को समुचित तरीके से निपटाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि 8 दिसम्बर को किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद के बाद देर रात गृहमंत्री अमित शाह ने 13 किसान नेताओं को बैठक के लिये रात्रि भोज पर बुलाया था। लंबी चर्चा में तय हुआ था कि सरकार किसानों को एक लिखित प्रस्ताव देगी, जिसपर विचार विमर्श के बाद आगे की बैठक होगी। इसी बैठक में बुधवार की बैठक को रद्द करने का भी निर्णय लिया गया था। बैठक के बाद किसान नेता हन्नान मुल्ला ने कहा था कि बैठक बेनतीजा रही। किसान जहां सरकार द्वारा बनाये गये तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार इन्हें किसानों के हित में बताते हुये संशोधन करके बीच का रास्ता निकालने पर जोर दे रही है, जिसकी वजह से गतिरोध बना हुआ है।