जग्गी वासुदेव
कर्म बंधनका मतलब है कुछ किया जाना या किये जानेकी छाप, जो हमारे अंदर रहती है। आपके पिताने जो काम किये वे आपके अंदर न सिर्फ आपकी परिस्थितियोंमें काम कर रहे हैं, बल्कि आपकी हर कोशिकामें हैं। आपने देखा होगा कि जब आप १८ या २० सालके थे तो आपने अपने पिता या माताके खिलाफ पूरी तरहसे विद्रोह किया होगा, परन्तु अब जब आप ४० या ४५ सालके हैं तो आप उनके जैसा बोलना, चलना और दिखना भी शुरू कर देते हैं। यह कहनेका एक बहुत ही बेकार ढंग है क्योंकि यदि यह पीढ़ी भी उसी तरहसे व्यवहार करने जा रही है और जीवनका अनुभव ले रही है जैसा पिछली पीढ़ीने किया था तो यह व्यर्थ पीढ़ी ही होगी। इस पीढ़ीको जीवनका अनुभव ऐसे लेना चाहिए जो पिछली पीढ़ीने सोचा भी नहीं था। तात्पर्य यह है कि जिस तरहसे आप जीवनका अनुभव लेते हैं, इसे अनुभवके अगले स्तरतक ले जाया जा सकता है। परन्तु कर्म बंधन सिर्फ आपका, आपके पिता या दादाका ही नहीं है। इस पृथ्वीपर जीवनके उस पहले रूप, उस जीवाणु या वायरसके, उस एक कोशिकावाले प्राणीके कर्मबंधन भी, आज भी आपके अंदर जीवित हैं। जिस तरहका जीवाणु आपके शरीरमें है, वह एक खास व्यवहारका नमूना लिये हुए है और इसका आधार उस तरहका जीवाणु है जो आपके माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानीके शरीरोंमें था। आपके अपने बारेमें जो भी बड़े-बड़े विचार हैं, अपने व्यक्तित्वके बारेमें जो भी बड़े-बड़े ख्याल हैं, वह सब गलत, झूठे हैं। तभी तो हमने आपको बताया था कि यह सब माया है क्योंकि जिस तरहसे चीजें आपके अंदर हो रही हैं वह इसलिए है कि लगभग वह सब कुछ जो आप करते हैं वह सब भूतकालकी जानकारीसे नियंत्रित होता है। यदि मैं आपसे कहूं आपको कुछ भी करनेकी जरूरत नहीं है, हम आपके लिए सब कुछ कर देंगे और दिनमें १२ घंटे ध्यान करे तो आपको शुरुआतमें यह एक बहुत बड़ा सौभाग्य लगेगा। परन्तु एक महीने बाद आप पागल हो रहे होंगे। यदि आप हर किसी चीजके पार चले जायंगे, परन्तु जब उनके अंदर यह आने लगता है तो ज्यादातर लोग इसे छोड़ देते हैं। वह बौखला जायंगे और भाग जानेकी कोशिश करेंगे क्योंकि यह कोई आसान बात नहीं है। यह आपके पिता, दादा, पूर्वजों और उस जीवाणुका मौलिक रुदन है, उनकी मूल चीख है। वह सभी लाखों जीवन अपने आपको अभिव्यक्त करनेके लिए चीखेंगे। वह अपनी बात कहना चाहेंगे। वह आपको ऐसे ही आजाद होकर नहीं जाने देंगे। आप उनको टाल नहीं सकते, न ही अनदेखा कर सकते हैं, क्योंकि वह आपकी हर कोशिकामें धड़क रहे हैं।