पटना

कांग्रेस ने किया राजद से अलग होने का एलान


पप्पू ने दिया उपचुनाव में समर्थन का भरोसा : भक्त चरण

पटना (आससे)। उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने राजद से गंठबंधन तोडने का औपचारिक रूप से एलान कर दिया है। अब उसके नये साथी के रुप में जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कुशेश्वर स्थाना और तारापुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन देने का भरोसा दिलाया है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने शुक्रवार को दिल्ली से पटना पहुंचने के टीक बाद पप्मू यादव से मुलाकात की थी इसके बाद उन्होंने यह घोषणा की है।

भी दास ने बताया कि राजद ने दोनो सीट पर एकतरफा प्रत्याशी खड़ किया है। जबकि कुशेश्वर स्थान सीट कांग्रेस के कोटे की सीट थी। आम चुनाव में डा अशोक कुमार मात्र छह हजार वोट के अंतर चुनाव हारे थे। इस लिहाज से यह सीट कांग्रेस की थी। राजद ने इसे नजरअंदाज कर प्रत्याशी खड़ किया जो गंठबंधन धर्म केे खिलाफ था। उन्होंने बताया कि कांगे्रस कुशेश्वरस्थान की सीट जीतेगी, जबकि तारापुर में हमारे प्रत्याशी एलडीए और राजद को कड़ा टक्कर देने की स्थिति में हैं। वहीं श्री दास ने कहा कि २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले सभी ४० सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

राजनीतिक प्रेक्षको ंकी मानें तो पप्पू यादव के कांग्रेस के समर्थन में आने के बाद दोनों सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है। कांग्रेस की पूर्व सांसद व जाप सुप्रीमो पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन को पहले ही कुशेश्वर स्थान  में कैंपने की जिममेवारी सौंप चुकी है। वह वहां लगातार चुनाव प्रचार अभियान चला रही है। पहले से ही कयास लगाया जा रहा था कि पप्पू यादव देर सवेर  कांग्रेस केे पक्ष में आ सकते हैं। अब कन्हैया, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल भी अब चुनाव मैदान में आ गये हैं। शुक्रवार को पटना पहुंच गये हैं और २३-२४ अक्तूबर को तारापुर तथा २५-२६ अक्तूबर को कुशेश्वरस्थान में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष डा मदन मोहन झा भी कहते हैं कि लंबे अरसे के बाद चुनाव अभियान की कमान अब युवा नेता संभालेंगे। इसका फायादा निश्चित रूप से पार्टी को मिलेगा।

इधर राजद नेता व पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने भी कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अतिरेक कुमार को समर्थन देने की घोषणा कर रखे हैं। लेकिन अब तक उनका कोई कार्यक्रम औपचारिक रूप से घोषित नही हुआ है। कयास लगाया जा रहा है कि एक-दो दिनों में वह कुशेश्वरस्थान जाकर कमान संभाल सकते हैं।