- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौजूदा वित्त वर्ष का बजट पेश करने से पहले कहा था कि यह पिछले 100 साल में सबसे बढ़िया बजट होगा. इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर और हेल्थकेयर में निवेश बढ़ाने, निजीकरण की रफ्तार तेज करने और टैक्स कलेक्शन बढ़ाने से जुड़े प्रावधान किए गए थे. बजट में 10.5 फीसदी के जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया गया था. उस वक्त कोरोना केस में कमी और कंज्यूमर डिमांड में बढ़ोतरी से इकनॉमी पटरी पर लौटती दिख रही थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कहर से सारे समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं.
भारत के इनवेस्टमेंट की डाउनग्रेडिंग
अब भारतीय अर्थव्यस्था पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और दुनिया भर के निवेशकों ने इसकी संभावनाओं पर सवालिया निशान लगाना शुरू कर दिया है. रेटिंग एजेंसियों की ओर से इसका इनवेस्टमेंट ग्रेड घटाया जा सकता है. इस सप्ताह की शुरुआत में मूडीज ने कहा था कि अल्पकालीन अवधि में इंडियन इकोनॉमी में गिरावट आ सकती है. एजेंसी ने इसका जीडीपी अनुमान 13.7 से घटा कर 9.3 कर दिया था.
सरकार के निजीकरण कार्यक्रम को झटका
सरकार ने बजट में निजीकरण कार्यक्रम पर काफी जोर दिया था. लेकिन यह भी सफल होता नहीं दिख रहा है. भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, एर इंडिया के निजीकरण की डेडलाइन 2022 में तीन महीनों के लिए बढ़ा दी गई है. बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया भी धीमी हो गई है क्योंकि कोरोना की वजह से बिडर्स की फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं हो पा रही है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक जून में टैक्स कलेक्शन में कमी आ सकती है. इसमें 15-20 फीसदी की गिरावट की आशंका जताई जा रही है. राजकोषीय घाटा भी बढ़ कर जीडीपी के 6.8 फीसदी पर पहुंच सकता है.