चकिया। स्थानी विकासखंड के कुंडा हेमैया गांव में शुक्रवार को कृषि विभाग द्वारा किसानों को जैविक खेती के जरिए सूरजमुखी की खेती करने की सलाह दी। इस भीषण गर्मी में जहां अधिकांश खेत खाली पड़े हुए हैं। कृषि विभाग विश्व दीपक चतुर्वेदी ने वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा किसानों को रूबरू कराया और कहना है कि सूरजमुखी एक ऐसी तिलहन की खेती है जिसपर प्रकाश का कोई असर नहीं पड़ता है। यानि यह फोटोइन्सेंटिव है। इसके लिए बुआई का अनुकूल मौसम फरवरी माह होता है। फरवरी माह में सूरजमुखी की बुआई करके अच्छी पैदावार ली सकती है। इसके बीजों में 40 से 45 प्रतिशत तेल निकलता है। इसके तेल में खास तत्व लिनोलिइक अम्ल पाया जाता है। जो कोलेस्ट्रॉल को नहीं बढऩे देता है। साथ ही दिल के रोगियों के लिए यह तेल बहुत ही फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि कम लागत में अच्छी पैदावार वाले इस फसल से अच्छी कमाई हो जाती है। औसत 20 से 25 किलो प्रति बिश्वा पैदावार होने वाली यह फसल किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो रही है। आलूकी खेती की पैदावारी करने के बाद जैविक उर्वरक का प्रयोग करके सूरजमुखी के फसल की बुवाई कर देते हैं। जो किसान सूरजमुखी की बुवाई किए है। उनका कहना है। सूरजमुखी की खेती मेहनत और लगन से खेती करने का नतीजा है कि वह धरती से सोना पैदा कर रहे हैैं। गर्मी की इस तपती धूप में भी खेत में सूरजमुखी की फसल लहलहा रही है। उधर से गुजरने वाले हर किसी की निगाह एक बार खेत की तरफ जरूर पहुंच जाती है। कृषि विभाग के सलाहकार शिवम चौबे, पीयूष कुमार सिंह मौजूद रहे।