मुगलसराय। आदरणीय माताएं एवं प्रिय धर्म बंधुओं की इस पवित्र पर्व के शुभ अवसर पर अपने स्वजनों से मना करता हूं एक मैं अपने मे निय मगनता सा होता है एक नए चेतना जगता है और चेतना की भी एक शक्ति का ही रूप है उसी में चेतना के लिए बार बार ऋ षियों ने दोहराया है जिस मणिदीप निवासिनी माता का जो मणि दीप में निवास करती हैं और वह साड़ी का जो भूतल पर आती है उनका उनका नाम है चाडि़का। चाडि़का का ऋ षियों ने संबोधन किया मणिदीप में जो निवास करती हैं उनका कोई नामकरण कुछ नहीं किया वह अपने ढंग से और लोगों ने पराया अम्माया मां भवानी भगवती हां यह जरूर किसी एक प्रधान नाम जो प्रचलित है उसके स्थान पर यदि कोई दूसरा नाम लिया जाता है तो उस नाम का उपेक्षा होता है। उक्त बातें परमपूज्य अवधूत भगवान राम जी ने पंचमी तिथि के अवसर पर श्रद्धालुओं को अपने आशिर्वचन में व्यक्त की थी। परमपूज्य अवधूत भगवान राम जी के इस आशीर्वचन को पूज्य मां श्री सर्वेश्वरी सेवा संघ जलीलपुर गंगा तट वाराणसी द्वारा संकलन किया गया है। भगवान राम जी ने अपने आशीर्वचन में कहा है कि परम पूज्य अवधूत भगवान राम जी का संबोधन पंचांग तिथि के अवसर पर ओम नमस्ते नमस्ते खुद रूपांतर पुरुषार्थ धीमहि महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात । यह तो सभी जानते हैं कि यदि सूर्य की जगह पर हम आदित्य कहना प्रारंभ करते हैं तो सूरज जो शब्द है उसकी उपेक्षा होती है उतना महत्व घट जाता है जबकि सूरज प्रचलित हम लोगों में है सभी की आदित्य जो उपासना या पूजन किसी कार्य के समय ही उन्हें बार.बार नहीं कहा जाता पर इससे उनका महत्व कम होता है या नहीं होता है मैं नहीं जानता पर उसकी उपेक्षा तो जरूर हुई इस नाम का क्योंकि नाम ही एक ऐसी चीज है जिसको लेकर एक दूसरे से परिचित की जाता है यह अपना कुल और सील को बताया जाता है कि हम मुकुल सिर में रहने वाला हूं।