नयी दिल्ली। पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव के बीच सरकार को चीन की तरफ से एफडीआई के 120 से अधिक प्रस्ताव मिले हैं। ये प्रस्ताव अप्रैल के बाद से मिले हैं और इनमें निवेश की कुल राशि करीब 12,000 करोड़ रुपये है। अप्रैल में सरकार ने एफडीआई नियमों में बदलाव किया था। इसके मुताबिक जिन देशों की सीमा भारत के साथ लगती है, उनके निवेश के लिए सरकार की मंजूरी को अनिवार्य बना दिया गया था। यानी चीन से आने वाले किसी भी एफडीआई प्रस्ताव के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने चीन के प्रस्तावों की जांच के लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया है। चीन से आए एफडीआई के अधिकांश प्रस्ताव ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट्स के लिए है। यानी वे मौजूदा भारतीय कंपनियों में निवेश से जुड़े हैं।
अप्रैल में डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ने एक प्रेस नोट में कहा था कि भारत के साथ सीमा साझा करने वाले किसी भी देश की कंपनी या व्यक्ति सरकार की मंजूरी के बाद ही भारत में निवेश कर सकता है। इसका मकसद कोविड-19 महामारी के चलते भारतीय कंपनियों के मौकापरस्त अधिग्रहण को रोकना था।
सूत्रों ने कहा कि हमें चीन से 120-130 एफडीआई प्रस्ताव मिले हैं जिनमें निवेश की कुल राशि 12,000 करोड़ रुपये से 13,000 करोड़ रुपये है।
अप्रैल 2000 से सितंबर 2000 के बीच भारत में चीन से 2.43 अरब डॉलर (15,526 करोड़ रुपये) का निवेश आया है। सूत्रों के मुताबिक चीन की कुछ कंपनियों ने सरकारी ठेकों में बोली लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है और इन प्रस्तावों को गृह मंत्रालय को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियों पर मल्टीलेटरल इंस्टीट्यूशंस द्वारा फंडेड प्रोजेक्ट्स में बोली लगाने पर कोई पाबंदी नहीं है।
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