वाराणसी सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुद लता त्रिपाठी की अदालत में गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने सबंधित मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। कोर्ट के पीठासीन अधिकारी अवकाश पर होने के कारण सुनवाई टल गई। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 11 नंबर की तिथि नियत की गई है। बता दे की शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य रहे और अब उनकी मृत्यु के बाद शंकराचार्य का पद सम्हाल रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व रामसजीवन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार त्रिपाठी, रमेश उपाध्याय चंद्रशेखर सेठ के माध्यम से अदालत में वाद दाखिल किया है जिसमे शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुए कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिले शिवलिंग की आकृति का विधिवत रागभोग, पूजन व आरती जिला प्रशासन की ओर से विधिवत करना चाहिए था। लेकिन अबतक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। न किसी अन्य सनातनी धर्म से जुड़े व्यक्ति को इसके सम्बंध में नियुक्त किया। उन्होंने बताया कि कानूनन देवता की परस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है। जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना संविधान की धारा अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है।
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