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तालिबान ने पहले तोड़ी बामियान प्रतिमाएं, अब दावा अवशेषों के संरक्षण का


  1. तालिबान ने 2001 में छठी शताब्दी की प्रतिष्ठित बुद्ध प्रतिमाओं को नष्ट कर दिया था, जिससे दुनिया भर में आक्रोश फैल गया था. लेकिन अब वही तालिबान बौद्ध अवशेषों के रक्षक बनने का दावा कर रहा है. तालिबान का कहना है कि वह बौद्ध अवशेषों को सुरक्षित करेंगे, जो पर्यटकों को बामियान तक आकर्षित करेगा, जो कि प्रसिद्ध सालंग दर्रे में पड़ता है अफगानिस्तान के बाकी हिस्सों से अलग है. बामियान के सूचना संस्कृति निदेशालय के प्रमुख मौलवी सैफ-उल-रहमान मोहम्मदी ने सरकारी एरियाना समाचार को बताया, ‘बामियान में एक इस्लामिक अमीरात के अधिकारी के रूप में मैं अपने प्रांत के इन अमूल्य ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षित करने की पूरी कोशिश कर रहा हूं. स्थानीय विदेशी पर्यटक बामियान के ऐतिहासिक स्थलों बुद्ध प्रतिमाओं के लिए यात्रा कर सकते हैं.’

अब दे रहा पहले के विध्वंस पर यह तर्क
लेकिन यहां सवाल खड़ा होता है कि फिर तालिबान ने 2001 में बामियान में स्थित ऐतिहासिक बुद्ध प्रतिमाओं को क्यों नष्ट किया. मोहम्मदी ने हालांकि पिछले फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने 2001 में धार्मिक विचारधारा के आधार पर इन्हें नष्ट कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक अमीरात ने उस समय (2001) जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया था, बल्कि इसकी समीक्षा की गई थी इस्लामी कानूनों के आधार पर शोध किया गया फिर उन्होंने उन्हें नष्ट किया गया था.’ बामियान में 2001 का विनाश, अफगानिस्तान की ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ अब तक का सबसे भयंकर हमला है, जो हाल के उथल-पुथल की अवधि के दौरान हुआ है, जो देश में अप्रैल 1978 के कम्युनिस्ट तख्तापलट के साथ शुरू हुई अवधि से गुजरा है.