इसलिए पुलिस उसे साकेत कोर्ट में पेश करेगी, जहां हत्याकांड से जुड़े अन्य सुबूतों की जानकारी जुटाने के लिए रिमांड अवधि बढ़ाए जाने की मांग की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस अदालत को इस मामले में अब तक की जांच और पूछताछ के बारे में भी बताएगी, ताकि रिमांड में ले सके।
नार्को टेस्ट की तैयारी में पुलिस
श्रद्धा वालकर के लिव इन पार्टनर से हैवान बना आफताब पुलिस को पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है। वह लगातार पुलिस को गुमराह कर रहा है, कभी वह श्रद्धा का मोबाइल मुंबई में फेंकने की तो कभी महरौली के नाले में फेंकने की बात कह रहा है। इसी तरह श्रद्धा के सिर और कपड़ों के बारे में भी सही जानकारी नहीं दे रहा है।
ऐसे में पुलिस ने साकेत कोर्ट से आफताब के नार्को टेस्ट की अनुमति मांगी है। हालांकि, बुधवार को कुछ तकनीकी कारणों की वजह से पुलिस को कोर्ट से नार्को टेस्ट की अनुमति नहीं मिल सकी है। सभी तरह के तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर गौर करने के बाद अदालत 18 नवंबर को तय करेगी कि आफताब का नार्को टेस्ट किया जाएगा या फिर नहीं।
अपराध की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को नार्को टेस्ट की अनुमति मिलने की उम्मीद है। हालांकि, इसके लिए आफताब की सहमति भी पुलिस को लेनी होगी।
कैसे होता है नार्को एनालिसिस टेस्ट
सुबूतों के अभाव में जांच एजेंसियां नार्को एनालिसिस टेस्ट की मदद लेती हैं। इसमें आरोपित से अर्द्ध बेहोशी की हालत में पूछताछ कर सच्चाई का पता लगाया जाता है। इसमें शख्स को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है। खून में ये दवा पहुंचते ही आरोपित अर्धमूर्छित अवस्था में पहुंच जाता है। हालांकि, कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन भी दिया जाता है।
जांच के दौरान मौके पर फोरेंसिक एक्सपर्ट, मनोविज्ञानी और डाक्टर मौजूद रहते हैं। इस दौरान अर्धमूर्छित आरोपित से जांच टीम अपने पैटर्न पर सवाल पूछकर सच्चाई का पता लगाने का प्रयास करती है। इसके लिए आरोपित का शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना भी जरूरी होता है।
श्रद्धा हत्याकांड में एक और खुलासा
श्रद्धा हत्याकांड के आरोपित आफताब ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने पहचान छिपाने के लिए श्रद्धा के शव के टुकड़े करने के बाद उसका चेहरा जला दिया था। आफताब ने यह भी बताया कि हत्या के बाद उसने शव को ठिकाने लगाने के तरीके इंटरनेट पर सर्च किए थे।