नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नशीले पदार्थ से संबंधित एक मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने में देरी पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau, NCB) पर नाराजगी जताई है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने एनसीबी से सफाई भी मांगी है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कहा है कि इस ‘संवेदनशील मामले’ में मुकदमा चलाने के लिए जिस ढंग से अपील की गई वह बेहद निंदनीय है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है साल 2018 में मादक पदार्थ मामले में आरोपियों को बरी किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के 652 दिन के बाद इसे चुनौती दी गई है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने एक फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा है कि हमने पाया है कि नशीले पदार्थों के इस बेहद संवेदनशील मामले में मुकदमा चलाने के लिए जितनी लापरवाही बरती गई है वह बेहद निंदनीय है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एनसीबी मुख्यालय ने एक साल तक फाइल को अपने पास रखा और 652 दिन बाद आदेश को चुनौती दी गई। एनसीबी मुख्यालय एक साल तक फाइल को दबाए बैठा रहा। यह चिंताजनक है। हम इस मामले में एनसीबी मुख्यालय से स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। एनसीबी बताए कि ऐसी लापरवाही के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार था और उस पर किस तरह से कार्रवाई की गई है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला साल 2013 में एक कार से कथित रूप से पांच किलो प्रतिबंधित हेरोइन बरामद होने से संबंधित है। इस मामले में हाईकोर्ट ने कुछ आरोपियों को बरी कर दिया था। इन आरोपियों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दाखिल गया गया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में बिफल रहा है। यही नहीं उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।