अन्तर्राष्ट्रीय

नेपाल में आम चुनाव से पहले गूंजा भारत के साथ लगी सीमा का मुद्दा


नेपाल में आम चुनाव नजदीक है। ऐसे में राजनीतिक दल पूरा दम लगा रही हैं। चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा भारत के साथ लगती हुई सीमा ही बनी हुई है। पार्टियों ने अपने-अपने घोषणापत्र भी जारी कर दिए हैं। सत्ता की दौड़ में रहने वाली दो बड़ी पार्टियो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और नेपाल प्रजातंत्र पार्टी ने संविधान में बड़े बदलाव का वादा किया है। वहीं अपने वादों में दोनों ही पार्टियों ने भारत के साथ लगती सीमा के मुद्दे को भी शामिल किया है।  लेफ्ट पार्टी के मुखिया केपी ओली ने माओवादी पार्टी के साथ मिलकर 2017 के चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी। पार्टी ने अपने चुनावी अभियान को शुरू करने के लिए भी धारचुला का चुनाव किया था। धारचुला में नेपाल और भारत का बॉर्डर है। यहां तीन जगहों पर दोनों देशों के बीच में विवाद है। लिपुलेक, लिमपियाधुरा और कालापानी में नेपाल अपना दावा करता रहता है। 2019 में जब ओली प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने संसद में भी नए मैप को मंजूरी दी थी। उन्हें उम्मीद है कि दो युवाओं की मौत को भी वह मुद्दा बनाएंगे और यहां के स्थानीय लोगों की संवेदनाएं उन्हें मिल जाएंगी। उन्होंने आरोप लगाए थे कि भारत ने ही उन दोनों की हत्या करवाी थी। अब ओली दावा कर रहे हैं कि भारत के साथ सटी सीमा को लेकर बातचीत शुरू हो गई थी लेकिन उनके कुर्सी से हटने के बाद इसपर विराम लग गया। मंगलवार को उन्होंने अपना घोषणापत्र जारी किया जिसमें इस बातचीत को आगे बढ़ाने की बात उन्होंने कही है। उन्होंने नेपाली कांग्रेस पार्टी और उसके गठबंधन पर आरोप लगाया है कि वे राष्ट्रहित से समझौता करते हैं। ओली के विदेश मामलों के सलाहकार रह चुके राजन भत्ताराई ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया है कि वह नेपाल के लोगों को मिलने का समय ही नहीं देते जिससे कि दोनों देशों के संबंध मजबूत किए जा सकें। वहीं माओवादी पार्टी ने कार्यकारी राष्ट्रपति के अधिकार में कैबिनेट के गठन  वाले मॉडल को अपने घोषणापत्र में शामिल किया है।