नई दिल्ली, न्यायपालिका पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) की टिप्पणी के बाद कांग्रेस (Congress) ने पलटवार किया है। कांग्रेस ने शुक्रवार को धनखड़ से पहले उपराष्ट्रपति रहे एम वेंकैया नायडू की 2020 में दी गई टिप्पणी का हवाला दिया। इसमें नायडू ने कहा था कि राज्य के तीन अंगों में से कोई भी सर्वोच्च होने दावा नहीं कर सकता है क्योंकि केवल संविधान (Constitution) ही सर्वोच्च है।
उपराष्ट्रपति ने कही थी ये बात
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा था कि न्यायिक प्लेटफार्मों से “खुद को श्रेष्ठ घोषित करना और सार्वजनिक दिखावा” अच्छा नहीं है। इन संस्थानों को पता होना चाहिए कि खुद को कैसे संचालित करना है। धनखड़ राजस्थान विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। संवैधानिक संस्थाओं के अपनी सीमाओं में रहकर संचालन करने की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा था कि संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार क्या किसी और संस्था पर निर्भर कर सकता है। उन्होंने कहा था यदि संसद के बनाए गए कानून को किसी भी आधार पर कोई भी संस्था अमान्य करती है तो ये प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं होगा। बल्कि ये कहना मुश्किल होगा क्या हम लोकतांत्रिक देश हैं।
कांग्रेसी नेताओं ने तेज किए हमले
इस मुद्दे पर हमले को तेज करते हुए कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ”चिदंबरम ने न्यायपालिका पर उपराष्ट्रपति के हमले का स्पष्ट रूप से जवाब दिया है कि संविधान सर्वोच्च है, ना कि संसद। सिर्फ एक साल पहले धनखड़ के पूर्ववर्ती वेंकैया नायडू ने भी वही कहा था, जो चिदंबरम ने कहा।”
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा था संविधान सर्वोच्च है
गौरतलब है कि पूर्व उपराष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू ने कहा था कि ‘राज्य’ के तीन अंगों में से कोई भी सर्वोच्च होने का दावा नहीं कर सकता है क्योंकि केवल संविधान ही सर्वोच्च है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका संविधान में परिभाषित संबंधित डोमेन के भीतर काम करने के लिए बाध्य हैं।
इसलिए विकसित हुआ था मूल संरचना सिद्धांत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा था कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ जब कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, तो वो गलत हैं। दरअसल, ये संविधान है, जो सर्वोच्च है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि संविधान के मूलभूत सिद्धांतों पर बहुसंख्यकवादी चालित हमले को रोकने के लिए ‘मूल संरचना’ सिद्धांत विकसित किया गया था।
जानें क्यों हुआ विवाद
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयपुर में 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए 2015 में एनजेएसी अधिनियम को रद करने की आलोचना की थी। उन्होंने 1973 के ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये एक गलत मिसाल कायम करता है। उन्होंने कहा था कि वो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से असहमत हैं कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती हैं, लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं।