वित्त विभाग का निर्देश जारी
पटना (आससे)। वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने मार्च में कोषागारों से बिल भुगतान में होने वाली गड़बड़ी और आपाधापी को रोकने के लिए वित्त विभाग ने नया शेड्यूल जारी किया है। इसके मुताबिक राज्य के किसी भी कोषागार में 20 मार्च के बाद किसी तरह के बिल का भुगतान नहीं होगा। विभाग की ओर से जारी शेड्यूल के अनुसार ही बिलों का भुगतान किया जाएगा। 20 मार्च तक प्रस्तुत बिल ही पास किये जायेंगे।
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने जिलों को दिये निर्देश में कहा है कि वित्त विभाग के शेड्यूल के इतर किसी तरह के बिल का भुगतान या बिल पास कोषगार से नहीं किया जाएगा। सभी डीएम व कोषागार पदाधिकारियों को निर्देश का अनुपालन सुनिश्चत करें। इस साल मार्च महीने में कोषागार व वित्त विभाग के सर्वर पर बोझ न बढ़े और जल्दीबाजी में गलत निकासी या बिल पास न हो, इसकी मुकम्मल व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत पूरे राज्य के लिए शिड्यूल तैयार किया गया है। इसके मुताबिक जिलों को नवम्बर 2021 तक के सभी यात्रा व्यय, कार्यालय व्यय, वाहन इंधन, बिजली बिल, फोन बिल, वर्दी बिल, खुराकी से संबंधित सारे बिल 31 जनवरी तक ही कोषागार से पास करा लेने होंगे। 31 जनवरी के बाद ऐसे बिल पर विचार ही नहीं होगा।
इसके अलावा दिसम्बर 2021 व जनवरी 2022 तक का यात्रा व्यय, कार्यालय व्यय, वाहन इंधन, बिजली बिल, फोन बिल व खुराकी आदि का बिल 28 फरवरी तक पास करा लेना है। इसके बाद इस अवधि के बिल पर कोई विचार वित्त विभाग द्वारा नहीं किया जाएगा। फरवरी व मार्च तक के इस प्रकार के बिल कोषागार के समक्ष 20 मार्च तक ही प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद न तो ये बिल पास किये जायेंगे और न ही इनका भुगतान हो पाएगा।
वित्त विभाग ने कुछ विशेष प्रकार के खर्च को इस शिड्यूल से बाहर रखा है। इनमें आपदा मामलों में होने वाला खर्च, न्यायालय से संबंधित खर्च, लोकायुक्त कार्यालय के खर्च, बिहार लोक सेवा आयोग के खर्च, बिहार मानवाधिकार आयोग के खर्च, राज्यपाल सचिवालय के खर्च, विधानमंडल के खर्च व कोविड के नियंत्रण पर होने वाले खर्च शामिल हैं। इन मदों में होने वाले खर्च के बिल का भुगतान शिड्यूल से अलग समय पर भी करने की मंजूरी वित्त विभाग ने दी है।
वित्त विभाग ने कहा है कि तय शिड्यूल से बिल का भुगतान दो कारणों से आवश्यक है। एक तो इससे वित्तीय अनुशासन बना रहेगा, दूसरे मार्च के अंत में अचानक से कोषागार में बिलों की बाढ़ आ जाती है। इससे विभाग के सॉफ्टवेयर पर लोड बढ़ जाता है और सर्वर डाउन होने के कारण आवश्यक बिल का भी भुगतान रुक जाता है। विभाग ने कहा है कि शिड्यूल तय होने से सॉफ्टवेयर पर अचानक लोड नहीं बढ़ेगा और सर्वर डाउन होने की समस्या नहीं रहेगी। इसके अलावा बिलों की जांच के लिए भी अधिकारियों के पास पर्याप्त समय उपलब्ध होगा।