पटना। एटीएस और पत्रकारनगर थाने की पुलिस ने नौ आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जो यूरेनियम के नाम पर ठगी कर रहे थे। इनसे नौ सौ-नौ सौ ग्राम के दो पैकेट बरामद किए गए हैं, जिसे वे यूरेनियम बता बेचने आए थे। इनमें दो नेपाल, तीन पूर्णिया के हैं, जबकि चार अन्य वाराणसी, मोतिहारी, नालंदा, मसौढ़ी के हैं। सभी काले रंग की कार में पटना आए थे। यहीं किसी को कथित यूरेनियम की आपूर्ति करनी थी।
उनके पास से बरामद दोनों पैकेट पर यूरेनियम ग्राड, निर्माण तिथि तीन जून 2017, एक्सपायरी 28 अक्टूबर 2024 अंकित है। इस पर मेड इन यूएसए लिखा हुआ है। पकड़े गए सभी आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। पत्रकारनगर थाने में इन सभी के खिलाफ ठगी सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी की गई है।
एसएसपी डा. मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि छानबीन के बाद पता चला कि गिरोह उक्त तत्व के नाम पर किसी अन्य पदार्थ को दिखाकर ऊंचे दाम पर बेचने के नाम पर ठगी करता था। प्रथमदृष्टया यूरेनियम की पुष्टि नहीं हो रही है। मामला पूरी तरह ठगी का है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
गिरफ्तार आरोपितों में पूर्णिया के सरसी थाना क्षेत्र के अरुण कुमार, अनुज कुमार और रामशंकर ठाकुर तथा नेपाल के वाड़ा जिले स्थित भवानीपुर निवासी विश्वनाथ यादव, सरलाही जिले के बरहतवा निवासी बैजुलाल दास हैं। इनके अलावा पटना के मसौढ़ी के नहवां निवासी विवेक पटेल, नालंदा के बेन निवासी रंजन कुमार, मोतिहारी के चिड़ैया के आश्रम मधुबनी निवासी राम बाबू सिंह और यूपी के वाराणसी के मरुआडीह के भुल्लनपुर निवासी संतलाल भारती भी पकड़े गए हैं।
पूर्णिया के गिरोह पर पहले से थी एटीएस की नजर
पुलिस के अनुसार, पूर्णिया के गैंग पर पहले से एटीएस की नजर थी। सूचना मिली कि गैंग के साथ नेपाल और वाराणसी के कुछ लोग कुछ पैकेट लेकर काले रंग की क्रेटा कार से पटना ओल्ड बाइपास की तरफ आने वाले हैं। इसके बाद उन्हें दबोचा गया।
मास्टरमाइंड पूर्णिया के अरुण और वाराणसी के संतलाल के मोबाइल का डिटेल पुलिस निकाल रही है। सूत्रों की मानें तो दोनों एडवांस ई-वालेट में ले चुके थे। पूर्णिया के तीनों आरोपित किसान के बेटे हैं। मसौढ़ी के विवेक की टाइल्स की दुकान है।
आखिर किसको होने वाली थी यूरेनियम की आपूर्ति
इतना तो साफ है कि आरोपित यूरेनियम के नाम पर संदिग्ध पदार्थ पैक कर लोगों को लाखों रुपये का चूना लगाते थे। पैकेट में कौन सा पदार्थ है, यह तो एफएसएल जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर पटना में वह कौन बैठा है, जो इनसे भारी मात्रा में यूरेनियम की खरीद करने वाला था?
वह भारी मात्रा में यूरेनियम का प्रयोग कहां करने वाला था। इसके पीछे कोई गहरा षड्यंत्र तो नहीं? पकड़े गए लोग ठगी करने वाले थे, लेकिन जो खरीदने वाला था, वह असली है। उसके संपर्क में और लोग तो नहीं? अब पुलिस उसके बारे में जानकारी जुटा रही है, जिसके पकड़े जाने पर कई और राज खुल सकते हैं।
पटना के एसएसपी से जानकारी ली गई है। प्रारंभिक जांच में ठगी का मामला प्रतीत हो रहा है, जिस पदार्थ को दिखाकर ठगी का प्रयास किया जा रहा था वह यूरेनियम या अन्य रेडियो एक्टिव तत्व नहीं है। फारेंसिक जांच के लिए सैंपल भेजा गया है। -जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी पुलिस मुख्यालय