पटना। बिहार में बढ़ते क्राइम को लेकर नीतीश कुमार गंभीर बने हुए हैं। उन्हें हर हाल में क्राइम में भी जीरो टॉलरेंस चाहिए। इसे लेकर कल भी उन्होंने डीजीपी एसके सिंघल को तलब किया था। शनिवार को वे ‘सिंघम स्टाइल’ में एक्शन में आ गए। डीजीपी ने एक ही झटके में आज अपने कार्यालय में वर्षों से जमे 23 कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। डीएसपी से लेकर सिपाही तक उनके जद में आए हैं। उन सभी को वापस जिलों में योगदान करने का निर्देश दिया गया है। बताया जाता है कि डीजी सेल से बाहर होने वाले पुलिस पदाधिकारियों में डीएसपी, इंस्पेक्टर, एसआई, एएसआई और सिपाही शामिल हैं।
मिल रही जानकारी के अनुसार, डीएसपी वीरेंद्र कुमार के अलावा इंस्पेक्टर विनय कुमार, कृष्ण्कांत त्रिपाठी और मनोज कुमार को पुलिस महानिदेशक रक्षित कार्यालय पटना में योगदान करने का निर्देश दिया गया है। इसी कार्यालय में भेजे गए अन्य पुलिस अफसरों में डीजी गोपनीय शाखा के आशु अवर निरीक्षक राकेश कुमार, डीजी सेल के पुलिस अवर निरीक्षक श्रवण कुमार, गोपनीय शाखा के सहायक अवर निरीक्षक प्रेम प्रकाश तथा वीरेंद्र कुमार पासवान, डीजी सेल के सहायक अवर निरीक्षक अजय द्विवेदी और गोपनीय शाखा के हवलदार प्रेम बहादुर शामिल हैं।
सीनियर अधिकारियों के अलावा डीजी सेल के विभिन्न विभागों में तैनात सात सिपाहियों को भी पटना में ही पुलिस महानिदेशक रक्षित कार्यालय में भेजा गया है। इसी तरह, सहायक अवर निरीक्षक बीएमपी के शिवेंद्र कुमार सिंह के अलावा 5 सिपाहियों को उनके पैतृक जिले में योगदान करने का आदेश दिया गया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डीजीपी सिंघल के साथ इन दिनों लगातार बैठक कर रहे हैं। बुधवार को भी वे अचानक से सरदार भवन स्थित पुलिस मुख्यालय पहुंच गए थे। घंटों बैठक की और कई निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा था कि निर्दोष किसी भी हालत में जेल नहीं जाए और दोषी नहीं बचे।