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बीडीओ का मर्डर, आइपीएस ने लिखी कहानी; कोर्ट से बच निकले सारे आरोपित


शेखपुरा। : बिहार प्रशासनिक सेवा के अफसर की उनके आवास पर ही हत्‍या कर दी गई। भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के अफसर ने अपनी किताब में इस पूरी घटना और हत्‍यारे तक का जिक्र किया। लेकिन, बिहार की पुलिस इस बात को कोर्ट में प्रमाणित नहीं कर सकी। नतीजा है कि कोर्ट ने मामले के सभी आरोपितों को कोर्ट ने रिहा कर दिया है। खास बात यह भी है कि एक ही जगह एक ही रैंक के दूसरे अफसर की हत्‍या में ऐसा फैसला आया है।

2008 के जून महीने का मामला

22 जून 2008 को शेखपुरा मुख्यालय से अरियरी प्रखंड मुख्यालय जा रहे तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी अरविंद मिश्रा की गोली मारकर अपराधियों ने हत्या कर दी थी। इस सनसनीखेज हत्याकांड पर काफी राजनीति भी हुई और खूब शोर-शराबा हुआ। परंतु हत्याकांड के सभी नामजद अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए। शेखपुरा के एसपी रहे अमित लोढ़ा लिखित वेब सीरिज खाकी में भी इसका जिक्र किया गया है।

मंगलवार को कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

मंगलवार को सिविल कोर्ट में एडीजे तृतीय संजय सिंह ने प्रखंड विकास पदाधिकारी हत्याकांड मामले में आरोपी रहे पूर्व मुखिया राजेश रंजन उर्फ गुरु मुखिया के साथ-साथ नवीन चौरसिया, राजीव कुमार, मुकेश कुमार, रंजीत कुमार को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया। इसी मामले में कुख्यात रहे संजीव कुमार उर्फ पिंटू महतो और बच्चू महतो को भी साक्ष्य के अभाव में पहले ही रिहा कर दिया गया है।

किराए के मकान में रहते थे बीडीओ

जानकारी देते हुए लोक अभियोजक शंभू शरण सिंह ने बताया कि 22 जून 2008 को इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। प्रखंड विकास पदाधिकारी राजोपुरम मोहल्ला में किराए के मकान वहीं अपराधियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इसमें 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था।

मुकरते चले गए गवाह, नहीं साबित हुआ आरोप

आरोप पत्र पुलिस के द्वारा दाखिल किया गया था। इसके बाद सुनवाई शुरू हुई। इस मामले कई गवाहों के होस्टाइल हो जाने की वजह से और साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया गया। हालांकि पुलिस और चिकित्सक के द्वारा घटना को सही ठहराया गया था।

बीडीओ अशोक राज की भी हुई थी ऐसे ही हत्‍या

उधर, इसी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक राज बस्त की भी शेखपुरा नगर के आवास से कार्यालय जाते हुए गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के भी आरोपित पहले ही बरी किए जा चुके हैं । दो-दो प्रखंड विकास पदाधिकारी के हत्या के मामले में हत्यारे तक बिहार सरकार की पुलिस नहीं पहुंचने की चर्चा भी खूब हो रही है।