मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इस बार उन्होंने महाराष्ट्र के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस संजय पांडे पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वो उनके (परमबीर सिंह) के खिलाफ चल रही जांच को सेटल कर देंगे अगर वो महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ की गई शिकायत वापस लेते हैं तो.
परम बीर सिंह ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में अधिकारियों द्वारा अनिल देशमुख के खिलाफ शुरू की गई जांच को विफल करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि गवाहों के साथ भी छेड़छाड़ की जा रही है.
परमबीर सिंह ने सीबीआई को भी पत्र लिखा
सीबीआई को लिखे अपने पत्र में, परमबीर सिंह ने दावा किया है कि उनके और वर्तमान महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख संजय पांडे के बीच बातचीत हुई है. सिंह ने सीबीआई को अपने लेटर में बताया कि उन्होंने डीजीपी संजय पांडे को फोन किया था, और उन्हें आश्चर्य हुआ कि बातचीत के दौरान डीजीपी ने उनकी शिकायत पर सीबीआई द्वारा चल रही जांच के विषय पर बातचीत करना शुरू किया. सिंह ने आरोप लगाया है कि पांडे ने उन्हें संकेत दिया कि वो उन्हें इस मुद्दे पर सलाह देना चाहते हैं.
परमबीर सिंह ने कहा कि “उन्होंने (डीजीपी पांडे) ने मुझे सलाह दी कि उन्होंने कई सालों तक इस सिस्टम से लड़ाई लड़ी है, लेकिन लड़ाई कभी भी विजयी नहीं होती है. उन्होंने अपना अनुभव बताया कि कोई भी इस सिस्टम से लड़ नहीं सकता है.’
आगे पांडे ने कहा कि, मेरे (परमबीर) खिलाफ शुरू की गई 1 अप्रैल 2021 की विभागीय जांच राज्य सरकार द्वारा चलाई गई कुछ कार्रवाइयों में से एक थी. राज्य सरकार ने कहा, वह मेरे खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने पर भी विचार कर रही थी.”
मुझे सरकार से नहीं लड़ना चाहिए- डीजीपी की सलाह
परमबीर सिंह ने पत्र में आगे लिखा है कि डीजीपी पांडे ने उनसे कहा कि उनकी सलाह है कि “मुझे सरकार से नहीं लड़ना चाहिए, भले ही मैं सही कर रहा हूं, क्योंकि यह मुझे और परेशान करेगा” पत्र में आरोप लगाया गया है कि, तब डीजीपी पांडे ने परम बीर सिंह को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र को “वापस” लेने की सलाह दी थी. पत्र सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष रिट का विषय था, जिसके परिणाम स्वरूप कोर्ट ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की इनिशियल जांच की इजाजत दी थी.
परमबीर ने अपने पत्र में कहा की “उन्होंने (डीजीपी पांडे) सलाह दी कि अगर मैंने पत्र वापस ले लिया तो इसका मतलब यह होगा कि सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच अनौपचारिक हो जाएगी क्योंकि 5 अप्रैल, 2021 के न्यायिक आदेश को निरर्थक करार दिया जाएगा,”
परमबीर ने आरोप लगाया कि इसके बाद, डीजीपी पांडे ने कथित तौर पर उनको सुझाव दिया कि पत्र वापस लेते समय उन्हें क्या कहना चाहिए. “मैं कह सकता हूं कि 20 मार्च, 2021 को मेरे पत्र की कड़ी अचानक उकसावे का नतीजा था, जो मेरे खिलाफ पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा जारी किए गए बयानों से निकला था. जिसने मुझे आहत किया था और इस तरह उस गंभीर उकसावे के परिणाम स्वरूप ही मैंने पहला पत्र लिखा था. उन्होंने मुझे यह कहने की सलाह दी कि मैंने उस पत्र में लिखे कंटेंट पर फिर से विचार किया है और मैंने इसे वापस लेने का फैसला किया है.”