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पश्चिमी देशों ने लंबे समय से भारत को नहीं, बल्कि पाकिस्तान को आपूर्ति करना पसंद किया’, जर्मनी में बोले विदेश मंत्री जयशंकर


म्यूनिख। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को रूस के साथ रक्षा और व्यापार सहयोग की पुष्टि की। साथ ही, कहा कि कई पश्चिमी देश भारत को नहीं बल्कि पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करते थे। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में प्रवृत्ति बदल गई है।

 

रूस-फ्रांस और इजरायल मुख्य आपूर्तिकर्ता

एस जयशंकर ने कहा, “इन्वेंट्री के संदर्भ में, कई पश्चिमी देशों ने लंबे समय से भारत को नहीं, बल्कि पाकिस्तान को आपूर्ति करना पसंद किया है, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ पिछले दस या पंद्रह वर्षों में यह बदल गया है। हमारी नई खरीद संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ विविधतापूर्ण हो गई है, रूस, फ्रांस और इजरायल मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं।”

आर्थिक मॉडल अस्थिर और अनुचित

जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन की अपनी यात्रा के दौरान एक प्रमुख जर्मन आर्थिक दैनिक हैंडेल्सब्लैट के साथ एक इंटरव्यू में, विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनिया में आपूर्ति श्रृंखलाओं के बुनियादी ढांचे के असंतुलन पर प्रकाश डाला और कहा कि दुनिया का आर्थिक मॉडल अस्थिर और अनुचित है।

उन्होंने कहा, “दुनिया ने एक आर्थिक मॉडल बनाया है, जो अस्थिर और अनुचित है। वैश्वीकरण के नाम पर, हमने दुनिया में अति-संकेंद्रण देखा है। उत्पादन को सीमित संख्या में देशों में स्थानांतरित कर दिया गया है। कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं खोखली हो गई हैं।”

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा, “वैश्विक व्यवस्था इस समय कई तरह के तनाव का सामना कर रही है। कोविड जैसे झटके, यूक्रेन में युद्ध, गाजा में युद्ध, अफगानिस्तान से नाटो की वापसी और विघटनकारी जलवायु घटनाएं जो लगातार हो रही हैं, वो हमारे लिए चुनौती हैं।”

भारत-रूस के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी

भारत और रूस ने दशकों से ऐतिहासिक संबंधों और साझा हितों पर आधारित एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी बना रखा है। रूसी समाचार एजेंसी के अनुसार, इस रिश्ते के केंद्र में व्यापक रक्षा सहयोग है, जिसमें रूस भारत को सैन्य उपकरणों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में काम कर रहा है और दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास, उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों के सह-विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में लगे हुए हैं।

हाल ही में, ऊर्जा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक और मजबूत स्तंभ बन गया है। मास्को द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता से भारत का सबसे बड़ा कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएनपीपी) तमिलनाडु में बनाया जा रहा है।

आरटी के अनुसार, परमाणु प्रौद्योगिकी में रूस की विशेषज्ञता भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने, पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी को बढ़ावा देने में सहायक रही है। दोनों देशों ने ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी उन्नति के लिए इसके रणनीतिक महत्व को पहचानते हुए अपने परमाणु सहयोग को गहरा करने का संकल्प लिया है।

रूस के तेल का सबसे बड़ा आयातक

पिछले 18 महीनों में, भारत रूसी तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक के रूप में उभरा है। नई दिल्ली को पश्चिमी मीडिया और यहां तक कि कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा ‘रूस के युद्ध’ को वित्त पोषित करने के आरोपों से कई मौकों पर बचाव करना पड़ा है।