पटना (आससे)। लोजपा दो गुटों मं बंट चुका है। एक ओर दिवंगत रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस हैं तो दूसरी ओर रामविलास के पुत्र चिराग पासवान। दोनों चाचा-भतीजा रामविलास पासवान की विरासत के लिए राजनीतिक लड़ाई छेड़े हुए हैं। इसकी बानगी बीते सोमवार 5 जुलाई को दिवंगत रामविलास पासवान की जयंती के मौके पर पटना में दिखी। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान शक्ति प्रदर्शन में पास हो गए हैं तो वहीं उनके चाचा पशुपति पारस फेल।
इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल में सांसद पशुपति कुमार पारस को मंत्री बनाए जाने की चर्चा के बाद लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने मंगलवार को पटना स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यदि मेरे चाचा पशुपति पारस को लोजपा के सांसद के तौर पर मंत्री बनाया जाता है तो वे कोर्ट जाएंगे। हालांकि उन्हें नहीं लगता कि प्रधानमंत्री ऐसा करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ तो मैं राजनीतिक और कानूनी स्तर पर लड़ाई लडऩे को तैयार हूं। राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं हूं, पार्टी मेरी है, समर्थन मेरे पास है।
चिराग ने कहा कि कुछ दिनों से हलचल मची है। रामविलास पासवान के विचारों को कुचलते हुए अलग गुट बनाया। उन्होंने कहा कि वे लोग जनता को दिग्भ्रमित करते हैं। पार्टी के नाम पर उन्होंने आयोग में कोई क्लेम नहीं किया, खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बताया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कौन लोग थे। 75 सदस्यों की हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। इसमें 66 लोग हमारे साथ थे। सचिव भी हमारे साथ हैं। प्रदेश अध्यक्ष भी हमारे साथ। सभी के एफिडेविट हमारे पास है। कोई आयोग या कोर्ट में चुनौती देगा तो जवाब मिलेगा।
उन्होंने अपने चाचा पर हमला बोलते हुए कहा कि हमारे पिता बीमार होने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ा था। मेरा चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ था। रामविलास जी ने ही पारस को हटाया और प्रिंस को जिम्मेदारी दी थी। अब चाचा हम पर आरोप लगा रहे हैं। पिता जी ही चाहते थे कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े। चिराग ने आगे कहा कि हाजीपुर की जनता चाचा को जवाब देगी। जब जिंदा रहते मेरे पिता ने कोई समझौता नहीं किया तो उनके मरने के बाद भी मैं किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करूंगा। जिस दिन हम 243 पर चुनाव लड़ेंगे तो वोट प्रतिशत 12-15 प्रतिशत होगा।
मेरे लिए मंत्री पद मायने नहीं रखता है। मेरी लड़ाई बिहारी अस्मिता की है। उन्होंने कहा कि डेढ़-दो साल से ज्यादा सरकार नहीं चलेगी। इनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अगर मैं तानाशाह होता तो क्या समर्थन मिलता। उन्होंने दावा किया कि कैबिनेट विस्तार होते ही जदयू में टूट हो जाएगी।