नई दिल्ली, । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद का भारत की राजधानी दिल्ली से गहरा और अटूट रिश्ता है, जिसे वह शायद ही कभी भुला पाएं। शेख हसीना को अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दिनों में भारत का सहारा मिला था। दिल्ली में उन्होंने कई साल गुजारे थे। ये उन दिनों की बात है, जब शेख हसीना का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। तब शेख हसीना ने शायद ही कभी सोचा होगा कि एक दिन वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनकर भारत आएंगी। ये भी एक वजह है कि भारत और बांग्लोदश के बीच संबंध गहरे होते जा रहे हैं।
शेख हसीना के पिता थे बांग्लोदश के संस्थापक
शेख हसीना चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं। मंगलवार को शेख हसीना का राष्ट्रपति भवन में जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजदू रहे। राष्ट्रपति भवन में पीएम मोदी ने शेख हसीना से मुलाकात की। बता दें कि 2021 में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के 50वें वर्ष को छूने के बाद यह उनकी पहली यात्रा है। इस साल बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ और राष्ट्र के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती भी मनाई गई थी।
दिल्ली को दूसरा घर मानती हैं शेख हसीना
शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं। 15 अगस्त 1975 को मुजीबुर्रहमान, उनकी मां, तीन भाइयों और परिवार के दूसरे सदस्यों को बांगलादेश सेना के कुछ अधिकारियों ने कत्ल कर दिया गया था। इस दिन शेख हसीन बांग्लादेश में नहीं थीं, इसलिए वह बच गईं। बांग्लादेश में जब ये खूनी खेल खेला गया, तब शेख हसीना अपने पति और बच्चों के साथ जर्मनी में थी। इस घटना के बाद शेख हसीना का बांग्लोदश जाना सुरक्षित नहीं था। ऐसे में भारत ने शेख हसीना को राजनीतिक शरण दी थी। ऐसे में 1975 से 1981 तक शेख हसीना का दिल्ली हो गया। शेख हसीना इस बात को कहती भी करती हैं कि दिल्ली उनका दूसरा घर है।
प्रणब मुखर्जी परिवार से था खास संबंध
शेख हसीना भारत में राजनीतिक शरण के दौरान वह पहले दिल्ली के लाजपत नगर पार्ट-3 में रहीं। इसके बाद वह पंडारा रोड में शिफ्ट हो गईं। इसके बाद पंडारा रोड में शिफ्ट करने से पहले शेख हसीना 56, लाजपत नगर-पार्ट तीन में भी रही थीं। दिल्ली में रहते हुए शेख हसीना के प्रणब मुखर्जी के परिवार से बेहद करीबी संबंध बन गए थे। शुभ्रा मुखर्जी से उनकी खूब पटती थी। वह प्रणब मुखर्जी के तालकटोरा रोड वाले घर में लगातार जाती थीं। तब दोनों परिवारों के बच्चे भी करीब आए। 1981 में बांग्लादेश लौटने के बाद शेख हसीना जब कभी भारत आईं, तो प्रणब मुखर्जी के घर मिलने जरूर जाया करती थीं।
शेख हसीना ही नहीं उनके पिता और पति का भी भारत से गहरा रिश्ता
शेख हसीना जब दिल्ली में थीं, तब उन्होंने आल इंडिया रेडियो की बांग्ला सर्विस में भी काम किया था। आर्ट, म्यूजिक और लिटरेचर में गहरी रुचि रही है। शेख हसीना के पिता शेख मुजीब से इंदिरा की अच्छी दोस्ती थी। शेख हसीना के पति एम ए वाजिद मियां भारत में एटॉमिक एनर्जी कमीशन में रिसर्च भी किया था।