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- सरकारी के निर्णय के आलोक में डीएम सख्त कहा जिले में मिलिंग की क्षमता इतनी कि सभी धान के बदले दिया जा सकता है उसना चावल
- विधानसभा में सदस्य भीम कुमार सिंह के सवाल पर सरकार ने स्पष्ट कहा हर हाल में देना होगा उसना चावल
- सदस्य सुदामा प्रसाद के सवाल के जवाब में सरकार ने कहा 17 प्रतिशत की न्यूनतम नमी भारत सरकार द्वारा निर्धारित
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बिहारशरीफ। जिले में पैक्सों द्वारा धान अधिप्राप्ति की धीमी प्रगति पर जिला पदाधिकारी ने सख्त लहजा अख्तियार करते हुए संबंधित अधिकारियों को और पैक्सों को निर्देश दिया है कि अधिप्राप्ति कार्य में तेजी लाये ताकि जिले के किसानों को औने-पौने भाव में बिचौलियों और व्यापारियों के हाथ में धान ना बेचना पड़े। इसके लिए उन्होंने दैनिक प्रतिवेदन भी मांगा है। जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा है कि हर हाल में पैक्स वैसे मिलर से टैग हो जो उन्हें उसना चावल दे। निर्देश में यह स्पष्ट है कि किसी भी हाल में अरवा चावल स्वीकार नहीं होगा। मिलरों को उसना चावल हीं देना होगा।
अरवा चावल देने में हो रहे घपला-घोटाले और हेरा-फेरी के मामले को लेकर राज्य सरकार पहले हीं यह निर्देश दे चुकी है कि धान क्रय के बाद जो भी चावल प्राप्त होगा वह उसना चावल हीं लिया जायेगा। जिले के पैक्स इसी को लेकर धान क्रय में सुस्ती बरत रहे है, जबकि यह सच है कि जिले में उसना चावल के कई बड़े-बड़े मिल है जो पूरे जिले के पैक्सों के धान को मिलिंग कर उसना चावल दे सकता है। पैक्स और मिलरों की मिलीभगत है कि क्रय में शिथिलता बरत कर जिला प्रशासन पर दबाव बनाया जाय ताकि अरवा चावल लिया जा सके और उनकी दुकानदारी चलती रहे।
जबकि सच है कि जिले में अरवा चावल के कई दर्जन मिल है जिनसे पैक्स टैग होता है और मिलिंग के लिए धान दिया जाता है लेकिन सच यह भी है मिल का चक्का नहीं घुमता और चावल दे दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो धान को बाहर के मिलरों और व्यापारियों के हाथ बेच दिया जाता है और फिर हेराफेरी कर रद्दी अरवा चावल या फिर जनवितरण में आने वाले चावलों को हीं इधर-उधर कर आपूर्ति दिखाई जाती है।
इस बार नई व्यवस्था से राइस मिलरों के होश उड़े हुए है। अभी भी कुछ लोग यह वहम पाल रखे है कि शिथिलता बरतने पर उसना के बदले अरवा चावल लिया जायेगा। लेकिन दो दिन पूर्व हीं विधानसभा में दो अलग-अलग विधायकों ने इस संदर्भ में अतारांकित प्रश्न पूछा था जिसमें सरकार ने यह स्पष्ट कहा था कि राज्य अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के चयनित लाभुकों को उनकी पसंद के अनुसार जनवितरण प्रणाली के माध्यम से यथासंभव उसना चावल वितरित किया जाना है इसलिए विकेंद्रीकृत अधिप्राप्ति व्यवस्था अंतर्गत खरीफ विपणन मौसम 2021-22 में राज्य सरकार द्वारा अधिप्राप्ति धान के समतुल्य यथासंभव उसना चावल प्राप्त किये जाने का निर्णय लिया गया है।
सदस्य विधानसभा भीम कुमार सिंह ने सवाल में यह भी पूछा था कि राज्य में 3400 अरवा चावल मिल है जिसपर संकट का बादल गहरा रहा है। इसपर सरकार ने अस्वीकारात्मक उत्तर देते हुए कहा था कि अरवा चावल मिलों को इस संबंध में पर्याप्त समय पूर्व के नोटिस के जरिये दी गयी। अधिप्राप्ति प्रक्रिया के बाहर भी अरवा चावल मिलों के लिए बाजार में पर्याप्त संभावनाएं है।
इसी प्रकार सदस्य विधानसभा सुदामा प्रसाद ने तारांकित प्रश्न में यह पूछा था कि ‘‘बिहार राज्य में सरकार द्वारा किसानों से 01 नवंबर से धान क्रय करने के आदेश के बावजूद अभी तक किसानों से धान क्रय नहीं किया जा रहा है। साथ हीं धान में 17 प्रतिशत नमी का प्रावधान किया गया है, जबकि नवंबर माह तक 20 प्रतिशत तक धान में नमी रहती है। यदि हां तो क्या सरकार धान में नमी सीमा की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए सभी किसानों से कब तक धान क्रय करने पर विचार रखती है। नहीं तो क्यो?’’ इसके जवाब में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री लेसी सिंह ने अस्वीकारात्मक जवाब देते हुए कहा था कि राज्य में वर्तमान खरीफ मौसम में धान अधिप्राप्ति प्रारंभ की गयी है। 17 प्रतिशत की न्यूनतम नमी भारत सरकार द्वारा निर्धारित शर्त है। इसे समाप्त करने का प्रस्ताव नहीं है।
विधानसभा में सरकार के जवाब से यह स्पष्ट है कि हर हाल में पैक्सों को धान खरीदना होगा और बदले में उसना चावल हीं देना होगा। खासकर नालंदा जिले में उसना चावल की मिलिंग व्यवस्था इतनी सुदृढ़ है कि पूरे जिले के पैक्सों से खरीदा गया धान की मिलिंग कर उसना चावल दिया जा सकता है।