अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। अगर किसी को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम के किसी युवा क्रिकेटर या क्रिकेट से संबंधित जानकारी चाहिए होती थी तो लोग गूगल नहीं करते थे, बल्कि केके तिवारी को फोन करते थे। कानपुर में क्रिकेट खेलकर साल 1992 में दिल्ली में नौकरी करने आए केके फिरोज शाह कोटला मैदान पहुंचे तो नौकरी छोड़कर यहीं रच-बस गए। समय बीता, फिरोज शाह कोटला, अरुण जेटली स्टेडियम हो गया और केके दिल्ली क्रिकेट का हंसमुख और मददगार चेहरा बन गए।
लोकल मैचों में अंपायरिंग करने के साथ-साथ कई कोर्स पास करके केके बीसीसीआइ के स्कोरर बन गए। हरदिल अजीज केके बीमार होने के बावजूद आइपीएल के मैचों में स्कोरिंग करने को व्याकुल थे, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण उन्हें 27 अप्रैल को झज्जर स्थित एम्स में भर्ती किया गया। उनका व्यवहार कैसा था ये सिर्फ इस बात से पता चलता है दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के कर्मचारी, पदाधिकारी, क्लब के सदस्य और क्रिकेटर ही नहीं, खेल पत्रकार भी उनके स्वास्थ्य की पल-पल की खबर रख रहे थे। दिल्ली-एनसीआर में शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट टूर्नामेंट हो जो केके की मदद के बिना पूरा होता हो। कुछ दिन पहले ही वह मुझसे कह रहे थे, अब शरीर साथ नहीं देता, इसलिए अंपायरिंग करने की जगह टूर्नामेंट में अंपायर-स्कोरर उपलब्ध कराने का काम करने लगा हूं