पटना

बेगूसराय: दो गुटों के आपसी खींचतान में वित्त रहित कॉलेज हो रहे बदनाम


बेगूसराय (आससे)। शिक्षा विभाग के नियम का पालन करना मेरा गुनाह है क्या? यह कहना प्रोफेसर अनिल कुमार रॉय का कहना है। महंथ भरत दास इंटर महाविद्यालय रामपुर बखरी में कुछ इसी तरह की बातें सामने आ रही है। जो कि इन दिनों मीडिया में काफी सुर्खियों में है। भला हो भी क्यों नहीं एक पक्ष खुश हैं तो दूसरे पक्ष नाराज इसका एक ही कारण है कि आखिरकार प्राचार्य बनेंगे कौन एक गुट की इच्छा है कि मेरा प्राचार्य बने तो दूसरे गुट की इच्छा है कि मेरा प्राचार्य बने ,लेकिन विभाग ने पूर्व में ही आदेश जारी किए हुए हैं कि नियम को ताक पर रखकर किसी को प्राचार्य नहीं बनाया जाएगा।

लेकिन वित्त रहित कॉलेज में इस तरह के मामले आते ही रहते हैं। ऐसा ही ताजा मामला महंथ भरत दास इंटर महाविद्यालय रामपुर बखरी की है जहां प्रथम पद पर नियुक्त प्रोफेसर अनिल कुमार रॉय को इंटर की परीक्षा में केंद्र अधीक्षक बना दिया गया है। बताते चलें कि 31 मार्च को इंद्रदेव प्रसाद चौरसिया एवं कृष्ण मोहन सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है तो इसी को लेकर प्रोफेसर अनिल कुमार ने अपने दस्तावेज के साथ शिक्षा विभाग पहुंचे जिसका शिक्षा विभाग के पदाधिकारी ने अवलोकन किया और निर्णय प्रोफेसर अनिल कुमार के पक्ष में दिया।

वहीं बताते चलें कि प्रोफेसर फखरुद्दीन की बहाली द्वितीय पद पर हुई थी। हालांकि ये 12 सितंबर 1988 को योगदान किए थे। तो वही प्रोफेसर अनिल कुमार राय 9 दिसंबर 1988 को प्रथम पद पर अंग्रेजी विषय में बहाल हुए थे। इसी को आधार बनाकर प्रोफेसर फखरुद्दीन अपने को सीनियर बता रहे हैं लेकिन विभाग के अनुसार प्रथम पद पर बहाल होने वाले व्यक्ति ही सीनियर माने जाते हैं। सूत्रों की माने तो द्वितीय पद पर बहाल शिक्षकों को राशि भी नहीं दी गयी है। वही दस्तावेज के अवलोकन के आधार पर यह तथ्य सामने आ रहा है कि प्रोफेसर कृष्ण मोहन सिंह के बाद अनिल कुमार राय ही वरीय क्रम में आते हैं।

बताते चलें कि महंत भरत दास इंटर महाविद्यालय कई बार सुर्खियों में रहे हैं चाहे वह साशी निकाय अध्यक्ष महंथ सियाराम दास के द्वारा जारी पत्र में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया है। जिसमें सियाराम दास ने जालसाजी धोखाधड़ी अनुशासनहीनता एवं मनमानी के कारण प्राचार्य सह सचिव पद से मुक्त करने को लेकर 27 नवंबर 2020 को जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्रांक 27, 2020 के माध्यम से भेजा गया था।

जिसमें शासी निकाय के अध्यक्ष महथ सियाराम दास ने आरोप लगाया कि महाविद्यालय की खाता से 47 लाख रुपए से अधिक की राशि अलग-अलग कर्मचारियों के नाम से निकासी कर लिया गया है जिस पर कमेटी का कोई निर्णय नहीं था और ना ही अध्यक्ष की सहमति  प्राप्त है। यह आरोप प्राचार्य पर लगी थी,इस कारण से भी सुर्खियों में यह कॉलेज रहा था।

अब सवाल यह उठता है कि इस महाविद्यालय में इस तरह का आरोप प्रत्यारोप से जहां छात्र-छात्राएं प्रभावित होते हैं तो वहीं गुटबाजी के कारण वित्त रहित कॉलेज बदनाम भी हो रहे हैं। वहीं 27 जनवरी 2021 को जब दस्तावेज लेकर प्रोफेसर अनिल कुमार एवं प्रोफेसर फखरुद्दीन को बुलाया गया तो दस्तावेज दिखाते हुए अपना-अपना पक्ष भी नोडल पदाधिकारी रमेश चंद्र के पास रखा था।

इस संदर्भ में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि इस महाविद्यालय में विवाद बहुत है जिसकी जानकारी मुझे पूर्व में दी गई थी जिसकी जानकारी मैंने ली तो पाया कि जो प्रथम पद पर नियुक्त हैं वहीं वरीय क्रम में आएंगे इसी नियम के तहत प्रोफेसर अनिल कुमार राय को केन्द्राधीक्षक बनाया गया। इसी महाविद्यालय से संदर्भित आवेदन पूर्व के जिला शिक्षा पदाधिकारी देवेंद्र झा के समय में भी दिया गया था।