नयी दिल्ली (आससे.)। भारत और ब्रिटेन ने 35 करोड़ पाउंड के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारतीय सेना को ब्रिटेन निर्मित मिसाइलें मिलेंगी। इस मिसाइल से सेना को मजबूती मिलने की उम्मीद है। डील की घोषणा ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की पहली आधिकारिक भारत यात्रा के दूसरे और अंतिम दिन हुई। स्टार्मर के साथ125 व्यापारिक नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया है। स्टारमर ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत भारतीय सेना को बेलफास्ट में निर्मित ब्रिटेन निर्मित हल्की बहुउद्देशीय मिसाइलें (एलएमएम) दी जाएंगी। ये ब्रिटेन के रक्षा उद्योग के लिए एक और महत्वपूर्ण बढ़ावा है।साथ ही, यह सरकार की बदलाव की योजना को साकार करेगी। इससे उत्तरी आयरलैंड की हवाई सुरक्षा सुनिश्चित होगी। भारत के लिए निर्मित मिसाइलें वैसी ही हैं जैसी वर्तमान में बेलफास्ट में यूक्रेन के लिए बनाई जा रही हैं।बयान के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच एक व्यापक जटिल हथियार साझेदारी का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इस पर वर्तमान में बातचीत चल रही है। इसके अलावा, नई दिल्ली और लंदन ने नौसैनिक जहाजों के लिए विद्युत चालित इंजनों पर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किए। ब्रिटिश रक्षा सचिव जॉन हीली ने कहा कि आज घोषित डिफेंस डील दिखाती है कि भारत के साथ हमारी बढ़ती रणनीतिक साझेदारी ब्रिटेन के व्यापार और रोजगार को कैसे बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि इससे हमारे दोनों रक्षा उद्योगों के बीच, खासकर नौसैनिक जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक इंजन के विकास और वायु रक्षा के क्षेत्र में, और भी गहरे संबंधों का मार्ग प्रशस्त होगा।उन्होंने आगे कहा, ैसे-जैसे हम भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को और गहरा करेंगे, हम ब्रिटेन के रक्षा उद्योग को विकास के इंजन के रूप में इस्तेमाल करेंगे, जिससे उत्तरी आयरलैंड और पूरे ब्रिटेन में महत्वपूर्ण रोजगार सुनिश्चित होंगे।एलएमएम, जिन्हें मार्टलेट्स भी कहा जाता है, हल्की हवा से सतह, हवा से हवा, सतह से हवा और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें हैं। इसे थेल्स एयर डिफेंस की तरफ से डेवलप किया गया है। इनका नाम पौराणिक मार्टलेट नामक पक्षी के नाम पर रखा गया है, जो कभी घोंसला नहीं बनाता। यह अंग्रेजी हेराल्ड्री से लिया गया है। एलएमएम को स्टारबर्स्ट सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से विकसित किया गया था ताकि रॉयल नेवी के लिए ब्रिटेन की भविष्य की हवा से सतह पर निर्देशित हथियार (हल्का) की आवश्यकता को पूरा किया जा सके।
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