नई दिल्ली । भारत और रूस के रिश्ते काफी पुराने हैं। हर सरकार ने इन रिश्तों को एक नया मुकाम देने की कोशिश की है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब कुछ ही दिन बाद देश विजय दिवस मनाने वाला है। इस विजय दिवस को न तो भारत, न ही पाकिस्तान और न ही बांग्लादेश कभी भूल सकता है। 16 दिसंबर को ही बांग्लादेश में पाकिस्तान के पूर्व शासक और जनरल नियाजी ने अपने 90 हजार से अधिक सैनिकों के सामने भारत के सामने आत्म समर्पण किया था। पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी उस समय को याद करते हुए कहते हैं कि इस लड़ाई में भी रूस ने भारत को अपना सहयोग दिया था।
उनका कहना है कि जिस वक्त भारत को न्यूक्लियर सबमरीन की जरूरत थी और अमेरिका समेत सभी देशों ने उसको झिड़क दिया था, तब रूस ने ही भारत का साथ दिया था। रूस ने भारत को बमवर्षक विमान तक देने की पेशकश की थी, हालांकि भारत ने इसे नहीं लिया और बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए शुरू किए गए अपने सैन्य अभियान में बम गिराने के लिए ट्रांसपोर्ट विमान का इस्तेमाल किया था।