(ऋषिकेश पाण्डेय)
मऊ।सहरोज के जिला पंचायत सदस्य मनोज राय की कुंडली में राजयोग लिखा है?यह चर्चा आज जनपद के कोने-कोने में लोगों की जुबान पर तैरती नज़र आ रही है।वज़ह साफ है।जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लङने के लिए सपा और बसपा को उम्मीदवार ढूँढे नहीं मिल रहे हैं।हालांकि सशक्त उम्मीदवारों की खोज अब भी जारी है।लेकिन,मनोज राय को टक्कर दे सके।ऐसा उम्मीदवार जीते हुए उम्मीदवारों की सूची में दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा है।जिससे अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यदि श्री राय का निर्विरोध चुनाव जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में हो जाय तब भी कोई हैरानी की बात नहीं होगी।श्री राय के राजनीतिक कैरियर पर नज़र डाली जाय तो वे कोपागंज के ब्लाक प्रमुख के रूप में और जिला पंचायत सदस्य के रूप में पहले भी जनता का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।घोसी विधानसभा का भी उम्मीदवार रह चुके हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मऊ आगमन के दौरान उन्हें मिलने के लिए जिला कमेटी ने विशेष तवज्जो दी थी।प्रधानमंत्री के बेहद करीबी रहे आईएएस एवं वर्तमान में एमएलसी एके शर्मा से श्री राय की निकटता किसी से छुपी नहीं है।ऐसे में फिलहाल मनोज राय के मुकाबले किसी भी दल को टक्कर देने वाला उम्मीदवार नज़र नहीं आ रहा है।लेकिन,ऐसा भी नहीं है कि राजनीति के मोहरों की तलाश बिल्कुल बंद हो गयी है।लेकिन,पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अंशा यादव और उर्मिला जायसवाल के चुनाव हार जाने से श्री राय के राजयोग का रास्ता फिलहाल साफ नजर आ रहा है।हालांकि राजनीति में कब किसकी किस्मत बदल जाय या बिगङ जाय,इस बात का डर सदैव बरकरार रहता है।चौंतीस सदस्यीय जिला पंचायत का चुनाव जीतने के लिए सीधी लङाई में श्री राय को सत्रह और सदस्यों को अपने पाले में करना होगा।लेकिन,अगर सपा और बसपा दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिये तो इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा।बहरहाल,कहा जाता है कि कुंडली में राजयोग लिखा हो तो परिस्थितियां खुद-ब-खुद पक्ष में बनती चली जाती हैं।देखना यह है कि श्री राय की कुंडली में लिखे राजयोग की हकीक़त क्या है,जिसकी चर्चा आज समूचे जिले में गूंज रही है।