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‘महिला पायलट के मामले में लीड कर रहा भारत’, PM मोदी ने बेंगलुरु में बोइंग के नए परिसर का किया उद्घाटन –


बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बेंगलुरु में बोइंग के नए वैश्विक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी केंद्र परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्यपाल थावरचंद्र गहलोत, मुख्यमंत्री सिद्दरमैया सहित कई लोग मौजूद रहे।

PM मोदी ने क्या कुछ कहा?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले साल कर्नाटक में एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री बनकर तैयार हुई थी। अब ये वैश्विक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी केंद्र भी मिलने जा रहा है। यह दिखाता है कि कर्नाटक किस प्रकार एक बड़े एविएशन हब के रूप में विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा,

मैं विशेष रूप से भारत के युवाओं को बधाई दूंगा, क्योंकि इस फैसिलिटी से उन्हें एविएशन सेक्टर में नई स्किल सीखने के अनेक अवसर मिलेंगे। हमारा प्रयास है कि देश के हर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए। आप सभी लोगों ने जी20 शिखर सम्मेलन में हमारे एक संकल्प को देखा होगा। हमने दुनिया के समझ कहा है- अब समय आ गया है वुमन लेड डेवलपमेंट।

भारत में 15 फीसद महिला पायलट

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एविएशन और एयरोस्पेस सेक्टर में भी हम महिलाओं के लिए नए अवसर बनाने में जुटे हैं। चाहे फाइटर पायलट हों या फिर सिविल एविएशन हो, आज भारत महिला पायलट के मामले में लीड कर रहा है। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आज भारत के पायलट में से 15 फीसद महिला पायलट हैं और ये ग्लोबल एवरेट से तीन गुना ज्यादा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जिस बोइंग सुकन्या प्रोग्राम की शुरुआत हुई है उससे भारत के एविएशन सेक्टर में हमारी बेटियों की भागीदारी और बढ़ेगी। इससे दूरदराज के इलाकों में गरीब परिवार की बेटियों का पायलट बनने का सपना पूरा होगा। इससे देश के अनेकों सरकारी स्कूलों में पायलट बनने के लिए करियर कोचिंग और डेवलपमेंट की सुविधाएं बनेंगी।

कितनी लागत में तैयार हुआ परिसर?

43 एकड़ में फैला हुआ बोइंग का नया परिसर 1,600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ है। यह सेंटर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और यह विमान निर्माता कंपनी का अमेरिका के बाहर इस तरह का सबसे बड़ा निवेश है।

 

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, शहर के बाहरी इलाके देवनहल्ली में हाईटेक डिफेंस और एयरोस्पेस पार्क का परिसर भारत में जीवंत स्टार्टअप, निजी और सरकारी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ साझेदारी के लिए आधारशिला बन जाएगा और वैश्विक एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग के लिए अगली पीढ़ी के उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने में मदद करेगा।